रत्नमाला: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
mNo edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol> | <ol> | ||
<div class="HindiText"> <li> धरणीतिलक नगर के राजा अतिवेग की पुत्री थी । वज्रायुध से विवाही गयी । (<span class="GRef"> महापुराण/59/241-242 </span>) यह मेरु गणधर का पूर्व का चौथा भव है| देखें [[ मेरु ]] </li> | |||
<li> आ. शिवकोटि (ई. श. 11) द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र पर रची गयी टीका । </li> | <li> आ. शिवकोटि (ई. श. 11) द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र पर रची गयी टीका । </li></div> | ||
</ol> | </ol> | ||
Line 16: | Line 16: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) रावण की एक रानी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 77.13 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) रावण की एक रानी । <span class="GRef"> (पद्मपुराण 77.13) </span></p> | ||
<p id="2">(2) विदेहक्षेत्र में पृथिवीतिलक नगर के राजा प्रियंकर और रानी अतिवेगा की पुत्री । अतिवेग इसके पिता और प्रियकारिणी इसकी मां थी । इसका विवाह जंबूद्वीप के चक्रपुर नगर के राजा अपराजित के राजकुमार वज्रायुध से हुआ था । रत्नायुध इम का पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 59.241-243, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.91 </span></p> | <p id="2">(2) विदेहक्षेत्र में पृथिवीतिलक नगर के राजा प्रियंकर और रानी अतिवेगा की पुत्री । अतिवेग इसके पिता और प्रियकारिणी इसकी मां थी । इसका विवाह जंबूद्वीप के चक्रपुर नगर के राजा अपराजित के राजकुमार वज्रायुध से हुआ था । रत्नायुध इम का पुत्र था । <span class="GRef"> (महापुराण 59.241-243), </span><span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 27.91) </span></p> | ||
<p id="3">(3) हेमांगद देश में राजपुर नगर के वैश्य रत्नतेज की पत्नी । यह अनुपमा की जननी थी । <span class="GRef"> महापुराण 75.450-451 </span>देखें [[ अनुपमा ]]</p> | <p id="3">(3) हेमांगद देश में राजपुर नगर के वैश्य रत्नतेज की पत्नी । यह अनुपमा की जननी थी । <span class="GRef"> (महापुराण 75.450-451) </span>देखें [[ अनुपमा ]]</p> | ||
</div> | </div> | ||
Revision as of 21:51, 11 December 2022
सिद्धांतकोष से
- धरणीतिलक नगर के राजा अतिवेग की पुत्री थी । वज्रायुध से विवाही गयी । ( महापुराण/59/241-242 ) यह मेरु गणधर का पूर्व का चौथा भव है| देखें मेरु
- आ. शिवकोटि (ई. श. 11) द्वारा तत्त्वार्थ सूत्र पर रची गयी टीका ।
पुराणकोष से
(1) रावण की एक रानी । (पद्मपुराण 77.13)
(2) विदेहक्षेत्र में पृथिवीतिलक नगर के राजा प्रियंकर और रानी अतिवेगा की पुत्री । अतिवेग इसके पिता और प्रियकारिणी इसकी मां थी । इसका विवाह जंबूद्वीप के चक्रपुर नगर के राजा अपराजित के राजकुमार वज्रायुध से हुआ था । रत्नायुध इम का पुत्र था । (महापुराण 59.241-243), (हरिवंशपुराण 27.91)
(3) हेमांगद देश में राजपुर नगर के वैश्य रत्नतेज की पत्नी । यह अनुपमा की जननी थी । (महापुराण 75.450-451) देखें अनुपमा