अनाकांक्ष क्रिया: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 4: | Line 4: | ||
< p class="HindiText"> श्रावक की अन्य 24 क्रियाओं के लिये देखें [[ क्रिया#3.2 | क्रिया - 3.2]]।</p> | <p class="HindiText"> श्रावक की अन्य 24 क्रियाओं के लिये देखें [[ क्रिया#3.2 | क्रिया - 3.2]]।</p> | ||
Revision as of 10:41, 16 December 2022
सर्वार्थसिद्धि/6/5/321-323/11 पंचविंशति: क्रिया उच्यंते-...
शाठ्यालस्याभ्यां प्रवचनोपदिष्टविधिकर्तव्यतानादरोऽनाकांक्षक्रिया। ...=... धूर्तता और आलस्य के कारण शास्त्र में उपदेशी गयी विधि करने का अनादर अनाकांक्षाक्रिया है। ... ( राजवार्तिक/6/5/7/16 )।
श्रावक की अन्य 24 क्रियाओं के लिये देखें क्रिया - 3.2।