शंख: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) कृष्ण का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.71 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) कृष्ण का पुत्र । <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 48.71) </span></p> | ||
<p id="2">(2) भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के निवासी सेठ श्वेतवाहन और सेठानी बंधुमती का पुत्र । इसने अपने मित्र निर्नामक का पूर्वभव सुनकर मुनि द्रुमषेण से दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 260-261, 287, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33. 141, 164 </span></p> | <p id="2">(2) भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के निवासी सेठ श्वेतवाहन और सेठानी बंधुमती का पुत्र । इसने अपने मित्र निर्नामक का पूर्वभव सुनकर मुनि द्रुमषेण से दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> (महापुराण 71. 260-261, 287), </span><span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 33. 141, 164) </span></p> | ||
<p id="3">(3) चक्रवर्ती भरतेश की नौ निधियों में एक निधि । <span class="GRef"> महापुराण 37.81, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11.110, 120 </span></p> | <p id="3">(3) चक्रवर्ती भरतेश की नौ निधियों में एक निधि । <span class="GRef"> (महापुराण 37.81), </span><span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 11.110, 120) </span></p> | ||
<p id="4">(4) हरिवंशी राजा नभसेन का पुत्र । यह राजा भद्र का पिता था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17. 35 </span></p> | <p id="4">(4) हरिवंशी राजा नभसेन का पुत्र । यह राजा भद्र का पिता था । <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 17. 35) </span></p> | ||
<p id="5">(5) लवणसमुद्र की पश्चिम दिशा के वडवामुख पाताल-विवर का समीपवर्ती एक पर्वत । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.462 </span></p> | <p id="5">(5) लवणसमुद्र की पश्चिम दिशा के वडवामुख पाताल-विवर का समीपवर्ती एक पर्वत । <span class="GRef"> (हरिवंशपुराण 5.462) </span></p> | ||
<p id="6">(6) एक वाद्य । इसे फूंक कर बनाया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 13.13, 17.113 </span></p> | <p id="6">(6) एक वाद्य । इसे फूंक कर बनाया जाता है । <span class="GRef"> (महापुराण 13.13, 17.113) </span></p> | ||
<p id="7">(7) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । वैश्य देविल इसी नगर का निवासी था । <span class="GRef"> महापुराण 62.494 </span></p> | <p id="7">(7) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । वैश्य देविल इसी नगर का निवासी था । <span class="GRef"> (महापुराण 62.494) </span></p> | ||
<p id="8">(8) धातुकीखंड द्वीप के ऐरावतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी के मंदारनगर का राजा । जयादेवी इसकी रानी तथा पृथिवीतिलका पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 168-170 </span></p> | <p id="8">(8) धातुकीखंड द्वीप के ऐरावतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी के मंदारनगर का राजा । जयादेवी इसकी रानी तथा पृथिवीतिलका पुत्री थी । <span class="GRef"> (महापुराण 63. 168-170) </span></p> | ||
<p id="9">(9) आगामी आठवें तीर्थंकर का जीव । <span class="GRef"> महापुराण 76.471-472 </span></p> | <p id="9">(9) आगामी आठवें तीर्थंकर का जीव । <span class="GRef"> (महापुराण 76.471-472) </span></p> | ||
<p id="10">(10) रावण का एक योद्धा । <span class="GRef"> पद्मपुराण 57.53, 66.25 </span></p> | <p id="10">(10) रावण का एक योद्धा । <span class="GRef"> (पद्मपुराण 57.53, 66.25) </span></p> | ||
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Revision as of 14:09, 22 December 2022
सिद्धांतकोष से
- चक्रवर्ती की नवनिधियों में से एक-देखें शलाका पुरुष।
- प्रतिमा के 108 उपकरणों में से एक-देखें चैत्य ।
- यादववंशी कृष्ण का 23वाँ पुत्र-देखें इतिहास ।
- लवण समुद्र में स्थित एक पर्वत-देखें लोक - 5.9।
- अपर विदेहस्थ एक क्षेत्र-देखें लोक - 5.2।
- आशीविष वक्षार का एक कूट व उसका रक्षक देव-देखें लोक - 5.4।
पुराणकोष से
(1) कृष्ण का पुत्र । (हरिवंशपुराण 48.71)
(2) भरतक्षेत्र में हस्तिनापुर नगर के निवासी सेठ श्वेतवाहन और सेठानी बंधुमती का पुत्र । इसने अपने मित्र निर्नामक का पूर्वभव सुनकर मुनि द्रुमषेण से दीक्षा ले ली थी । (महापुराण 71. 260-261, 287), (हरिवंशपुराण 33. 141, 164)
(3) चक्रवर्ती भरतेश की नौ निधियों में एक निधि । (महापुराण 37.81), (हरिवंशपुराण 11.110, 120)
(4) हरिवंशी राजा नभसेन का पुत्र । यह राजा भद्र का पिता था । (हरिवंशपुराण 17. 35)
(5) लवणसमुद्र की पश्चिम दिशा के वडवामुख पाताल-विवर का समीपवर्ती एक पर्वत । (हरिवंशपुराण 5.462)
(6) एक वाद्य । इसे फूंक कर बनाया जाता है । (महापुराण 13.13, 17.113)
(7) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का एक नगर । वैश्य देविल इसी नगर का निवासी था । (महापुराण 62.494)
(8) धातुकीखंड द्वीप के ऐरावतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी के मंदारनगर का राजा । जयादेवी इसकी रानी तथा पृथिवीतिलका पुत्री थी । (महापुराण 63. 168-170)
(9) आगामी आठवें तीर्थंकर का जीव । (महापुराण 76.471-472)
(10) रावण का एक योद्धा । (पद्मपुराण 57.53, 66.25)