अर्थसम: Difference between revisions
From जैनकोष
mNo edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
</span><span class="GRef"> धवला 9/4,1,54/259/7 </span><span class="PrakritText"> .....अर्यते परिच्छिद्यते गम्यते इत्यर्थो द्वादशांगविषय:, तेण अत्थेण समं सह वट्टदि त्ति अत्थसमं। .....। </span> | |||
<li class="HindiText"> जो ‘अर्यते’ अर्थात् जाना जाता है वह द्वादशांग का विषयभूत अर्थ है, उस अर्थ के साथ रहने के कारण '''अर्थसम''' कहलाता है। द्रव्यश्रुत आचार्यों की अपेक्षा न करके संयम से उत्पन्न हुए श्रुतज्ञानावरण के क्षयोपशम से जन्य स्वयंबुद्धों में रहने वाला द्वादशांगश्रुत '''अर्थसम''' है यह अभिप्राय है। </li><br> | |||
<p class="HindiText">अर्थसम द्रव्य निक्षेप। देखें [[ निक्षेप 5#5.8 | निक्षेप 5- 5.8]]।</p> | |||
Line 9: | Line 12: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 12:54, 27 December 2022
धवला 9/4,1,54/259/7 .....अर्यते परिच्छिद्यते गम्यते इत्यर्थो द्वादशांगविषय:, तेण अत्थेण समं सह वट्टदि त्ति अत्थसमं। .....।
अर्थसम द्रव्य निक्षेप। देखें निक्षेप 5- 5.8।