लिपिज्ञान: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: ल]] | [[Category: ल]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 19:08, 27 December 2022
वार्णिक बोध । इसके चार मुख्य भेद हैं । उनमें जो लिपि अपने देश में आमतौर से प्रचलित होती है वह अनुवृत्त, लोग अपने-अपने संकेतानुसार जिसकी कल्पना कर लेते हैं वह विकृत, प्रत्ययंग आदि वर्णों में जिसका प्रयोग होता है वह सामयिक तथा वर्षों के बदले पुष्प आदि पदार्थ रखकर जो ज्ञान किया जाता है वह नैमित्तिक लिपिज्ञान कहलाता है । इसके प्राच्य, मध्यम, यौधेय और समान आदि देशों की अपेक्षा अनेक अवांतर भेद हैं । पद्मपुराण 24.24-26