शिल्पकर्म: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="GRef"> राजवार्तिक/3/36/2/201/1 </span><span class="SanskritText"> रजकनापितायस्कारकुलालसुवर्णकारादय: शिल्पकर्मार्या:। </span> =<span class="HindiText">धोबी, नाई, लुहार, कुम्हार, सुनार आदि शिल्प कर्मार्य हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें [[ सावद्य#3 | सावद्य - 3]]। | <span class="GRef"> राजवार्तिक/3/36/2/201/1 </span><span class="SanskritText"> रजकनापितायस्कारकुलालसुवर्णकारादय: शिल्पकर्मार्या:। </span> =<span class="HindiText">धोबी, नाई, लुहार, कुम्हार, सुनार आदि शिल्प कर्मार्य हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें [[ सावद्य#3 | सावद्य - 3]]।</p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 21:54, 2 January 2023
सिद्धांतकोष से
राजवार्तिक/3/36/2/201/1 रजकनापितायस्कारकुलालसुवर्णकारादय: शिल्पकर्मार्या:। =
धोबी, नाई, लुहार, कुम्हार, सुनार आदि शिल्प कर्मार्य हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें सावद्य - 3।पुराणकोष से
तीर्थंकर वृषभदेव द्वारा बताये गये आजीविका के छ: कर्मों में छठा कर्म । हस्त-कौशल से जीविकोपार्जन करना शिल्पकर्म कहलाता है । चित्रकला, पत्रच्छेदन आदि शिल्पकार्य के भेद है । हरिवंशपुराण 16.179-182, हरिवंशपुराण 9.35