मित्रानुराग: Difference between revisions
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Revision as of 18:43, 5 January 2023
सल्लेखनाव्रत का पाँचवाँ अतिचार-सम ?? के समय मित्रों में किये अथवा उनके दिये गये प्रेम की स्मृति करना । हरिवंशपुराण 58. 184