आज्ञासम्यक्दर्शन: Difference between revisions
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<p>देखें [[ सम्यग्दर्शन#I.1.2 | सम्यग्दर्शन I.1.2]]।</p> | <p><span class="GRef"> आत्मानुशासन/12 </span><span class="SanskritText">आज्ञासम्यक्त्वमुक्तं यदुत विरुचितं वीतरागाज्ञयैव, त्यक्तग्रंथप्रपंचं शिवममृतपथं श्रद्दधंमोहशांते:। मार्गश्रद्धानमाहु: पुरुषवरपुराणोपदेशोपजाता, या संज्ञानागमाब्धिप्रसृतिभिरुपदेशादिरादेशि दृष्टि:।12। ।</span> =<span class="HindiText">दर्शनमोह के उपशांत होने से ग्रंथ श्रवण के बिना केवल वीतराग भगवान् की आज्ञा से ही जो तत्त्वश्रद्धान उत्पन्न होता है वह '''आज्ञासम्यक्त्व''' है। दर्शनमोह का उपशम होने से ग्रंथ श्रवण के बिना जो कल्याणकारी मोक्षमार्ग का श्रद्धान होता है उसे मार्ग सम्यग्दर्शन कहते हैं। तिरसठ शलाकापुरुषों के पुराण (वृत्तांत) के उपदेश से जो तत्त्वश्रद्धान उत्पन्न होता है उसे उपदेश सम्यग्दर्शन कहा है।12। (<span class="GRef"> दर्शनपाहुड़/ टीका/12/12/20</span>)।</span></p> | ||
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Revision as of 19:48, 5 January 2023
आत्मानुशासन/12 आज्ञासम्यक्त्वमुक्तं यदुत विरुचितं वीतरागाज्ञयैव, त्यक्तग्रंथप्रपंचं शिवममृतपथं श्रद्दधंमोहशांते:। मार्गश्रद्धानमाहु: पुरुषवरपुराणोपदेशोपजाता, या संज्ञानागमाब्धिप्रसृतिभिरुपदेशादिरादेशि दृष्टि:।12। । =दर्शनमोह के उपशांत होने से ग्रंथ श्रवण के बिना केवल वीतराग भगवान् की आज्ञा से ही जो तत्त्वश्रद्धान उत्पन्न होता है वह आज्ञासम्यक्त्व है। दर्शनमोह का उपशम होने से ग्रंथ श्रवण के बिना जो कल्याणकारी मोक्षमार्ग का श्रद्धान होता है उसे मार्ग सम्यग्दर्शन कहते हैं। तिरसठ शलाकापुरुषों के पुराण (वृत्तांत) के उपदेश से जो तत्त्वश्रद्धान उत्पन्न होता है उसे उपदेश सम्यग्दर्शन कहा है।12। ( दर्शनपाहुड़/ टीका/12/12/20)।
विस्तार के लिये देखें सम्यग्दर्शन I.1.2।