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| | ध./४/५,६,६४१/४९५/५ <span class="PrakritText">मेरु-कुलसेल-विंझ-सज्झादिपव्वया कूडाणि णाम।</span>=<span class="HindiText">मेरुपर्वत, कुलपर्वत, विन्ध्यपर्वत, और सह्यपर्वत आदि कूट कहलाते हैं।</span></p> |
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| | <li class="HindiText"> पर्वत पर स्थित चोटियों को कूट कहते हैं। </li> |
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| | <li class="HindiText"> मध्य आर्य खण्ड का एक देश– देखें - [[ मनुष्य#4 | मनुष्य / ४ ]]। </li> |
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| | <li class="HindiText"> विभिन्न पर्वतों पर कूटों का अवस्थान व नाम आदि– देखें - [[ लोक#5 | लोक / ५ ]]।</li> |
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ध.१३/५,३,२९/३४/८ कागुंदुरादिधरणट्ठमोद्दिदं कूडं णाम।=चूहा आदि के धरने के लिए जो बनाया जाता है उसे कूट कहते हैं।
ध./४/५,६,६४१/४९५/५ मेरु-कुलसेल-विंझ-सज्झादिपव्वया कूडाणि णाम।=मेरुपर्वत, कुलपर्वत, विन्ध्यपर्वत, और सह्यपर्वत आदि कूट कहलाते हैं।
- पर्वत पर स्थित चोटियों को कूट कहते हैं।
- मध्य आर्य खण्ड का एक देश– देखें - मनुष्य / ४ ।
- विभिन्न पर्वतों पर कूटों का अवस्थान व नाम आदि– देखें - लोक / ५ ।
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