वज्रघोष: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में स्थित हरिवर्ष देश के शीलनगर का राजा । इसकी रानी सुप्रभा तथा पुत्री विद्युन्माला थी । <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.123-124 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र में स्थित हरिवर्ष देश के शीलनगर का राजा । इसकी रानी सुप्रभा तथा पुत्री विद्युन्माला थी । <span class="GRef"> पांडवपुराण 7.123-124 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीव-मलय देश के कुब्जक वन का एक हाथी । पूर्वभव में इसका नाम मरुभूति और इसके बड़े भाई का नाम कमठ था । दोनों पोदनपुर के विश्वभूति ब्राह्मण के पुत्र थे । मरुभूति की स्त्री वसुंधरी के निमित्त से कमठ ने मरुभूति को मार डाला था । मरकर वह मलयदेश के सल्लकी वन में इस नाम का हाथी हुआ । कमठ की पत्नी वरुणा मरकर हथिनी हुई । पूर्वभव के अपने नगर के राजा अरविंद को मुनि अवस्था में देखकर प्रथम तो यह उन्हें मारने के लिए उद्यत हुआ किंतु मुनि अरविंद के वक्षस्थल पर श्रीवत्स चिह्न को देखकर इसे पूर्वभव के संबंध दिखाई देने लगे । इससे यह शांत हो गया । मुनिराज ने इसे श्रावक के व्रत ग्रहण कराये । यह दूसरे हाथियों के द्वारा तोड़ी गयी डालियों और पत्तो को खाने लगा । पत्थरों पर गिरकर प्रासुक हुए जल को पीने लगा । यह प्रोषधोपवास के बाद पारणा करता था । एक दिन यह वेगवती नदी में पानी पीने गया । वहाँ कीचड़ में ऐसा फँसा कि निकलने का बहुत उद्यम करने पर भी नहीं निकल सका । कमठ का जीव इसी नदी में कुक्कुट सर्प हुआ था । उसने पूर्व | <p id="2">(2) तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीव-मलय देश के कुब्जक वन का एक हाथी । पूर्वभव में इसका नाम मरुभूति और इसके बड़े भाई का नाम कमठ था । दोनों पोदनपुर के विश्वभूति ब्राह्मण के पुत्र थे । मरुभूति की स्त्री वसुंधरी के निमित्त से कमठ ने मरुभूति को मार डाला था । मरकर वह मलयदेश के सल्लकी वन में इस नाम का हाथी हुआ । कमठ की पत्नी वरुणा मरकर हथिनी हुई । पूर्वभव के अपने नगर के राजा अरविंद को मुनि अवस्था में देखकर प्रथम तो यह उन्हें मारने के लिए उद्यत हुआ किंतु मुनि अरविंद के वक्षस्थल पर श्रीवत्स चिह्न को देखकर इसे पूर्वभव के संबंध दिखाई देने लगे । इससे यह शांत हो गया । मुनिराज ने इसे श्रावक के व्रत ग्रहण कराये । यह दूसरे हाथियों के द्वारा तोड़ी गयी डालियों और पत्तो को खाने लगा । पत्थरों पर गिरकर प्रासुक हुए जल को पीने लगा । यह प्रोषधोपवास के बाद पारणा करता था । एक दिन यह वेगवती नदी में पानी पीने गया । वहाँ कीचड़ में ऐसा फँसा कि निकलने का बहुत उद्यम करने पर भी नहीं निकल सका । कमठ का जीव इसी नदी में कुक्कुट सर्प हुआ था । उसने पूर्व वैर वश इसे काटा, जिससे यह समाधिपूर्वक मरणकर सहस्त्रार स्वर्ग में देव हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 73. 6-24 </span></p> | ||
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Revision as of 19:59, 6 January 2023
सिद्धांतकोष से
महापुराण/73/ श्लोक नं.
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र में स्थित हरिवर्ष देश के शीलनगर का राजा । इसकी रानी सुप्रभा तथा पुत्री विद्युन्माला थी । पांडवपुराण 7.123-124
(2) तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीव-मलय देश के कुब्जक वन का एक हाथी । पूर्वभव में इसका नाम मरुभूति और इसके बड़े भाई का नाम कमठ था । दोनों पोदनपुर के विश्वभूति ब्राह्मण के पुत्र थे । मरुभूति की स्त्री वसुंधरी के निमित्त से कमठ ने मरुभूति को मार डाला था । मरकर वह मलयदेश के सल्लकी वन में इस नाम का हाथी हुआ । कमठ की पत्नी वरुणा मरकर हथिनी हुई । पूर्वभव के अपने नगर के राजा अरविंद को मुनि अवस्था में देखकर प्रथम तो यह उन्हें मारने के लिए उद्यत हुआ किंतु मुनि अरविंद के वक्षस्थल पर श्रीवत्स चिह्न को देखकर इसे पूर्वभव के संबंध दिखाई देने लगे । इससे यह शांत हो गया । मुनिराज ने इसे श्रावक के व्रत ग्रहण कराये । यह दूसरे हाथियों के द्वारा तोड़ी गयी डालियों और पत्तो को खाने लगा । पत्थरों पर गिरकर प्रासुक हुए जल को पीने लगा । यह प्रोषधोपवास के बाद पारणा करता था । एक दिन यह वेगवती नदी में पानी पीने गया । वहाँ कीचड़ में ऐसा फँसा कि निकलने का बहुत उद्यम करने पर भी नहीं निकल सका । कमठ का जीव इसी नदी में कुक्कुट सर्प हुआ था । उसने पूर्व वैर वश इसे काटा, जिससे यह समाधिपूर्वक मरणकर सहस्त्रार स्वर्ग में देव हुआ था । महापुराण 73. 6-24