क्षपणसार: Difference between revisions
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<p class="HindiText">आ॰ नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती (ई० ९८१)। द्वारा रचित मोहनीयकर्म के क्षपण विषयक ६५३ गाथा प्रमाण प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ है। इसके आधार पर माधव चन्द्रविद्यदेव ने एक स्वतन्त्र क्षपणसार नाम का ग्रन्थ संस्कृत गद्य में लिखा था। इसकी एक टीका पं० टोडरमलजी (ई० १७६०) कृत उपलब्ध है।</p> | |||
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Revision as of 22:15, 24 December 2013
आ॰ नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती (ई० ९८१)। द्वारा रचित मोहनीयकर्म के क्षपण विषयक ६५३ गाथा प्रमाण प्राकृत गाथाबद्ध ग्रन्थ है। इसके आधार पर माधव चन्द्रविद्यदेव ने एक स्वतन्त्र क्षपणसार नाम का ग्रन्थ संस्कृत गद्य में लिखा था। इसकी एक टीका पं० टोडरमलजी (ई० १७६०) कृत उपलब्ध है।