क्षेत्र - योग: Difference between revisions
From जैनकोष
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<li class="HindiText" name="4.3.4" id="4.3.4"> योग मार्गणा </li> | |||
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<table border="1" cellspacing="0" cellpadding="0" width="1304"> | |||
<tr> | |||
<td colspan="2" valign="top"><p><span class="HindiText"><strong>प्रमाण</strong> </span></p></td> | |||
<td width="145" rowspan="2" valign="top"><p><span class="HindiText"><strong>मार्गणा </strong> </span></p></td> | |||
<td width="44" rowspan="2" valign="top"><p><span class="HindiText"><strong>गुण स्थान</strong> </span></p></td> | |||
<td width="147" rowspan="2" valign="top"><p><span class="HindiText"><strong>स्वस्थान स्वस्थान </strong> </span></p></td> | |||
<td width="148" rowspan="2" valign="top"><p><span class="HindiText"><strong>विहारवत् स्वस्थान </strong> </span></p></td> | |||
<td width="131" rowspan="2" valign="top"><p><span class="HindiText"><strong>वेदना व कषाय समुद्घात </strong> </span></p></td> | |||
<td width="122" rowspan="2" valign="top"><p><span class="HindiText"><strong>वैक्रियक समुद्घात </strong> </span></p></td> | |||
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Revision as of 22:15, 24 December 2013
- योग मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणान्तिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु० |
|
नं. १ पृ. |
नं. २ पृ. |
|||||||||
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
३४१ |
पाँचों मनोयोगी |
|
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/असं, म×असं |
|
तैजस आहारक मूलोघ वत् |
|
३४१ |
पाँचों वचन योगी |
|
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
|
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/असं, म×असं |
|
तैजस आहारक मूलोघ वत् |
|
३४१-३४२ |
काय योगी सामान्य |
|
सर्व |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
मारणान्तिकवत् |
तीनों मूलोघ वत् केवल दण्ड समु |
|
३४२-३४३ |
औदारिक काय योगी |
|
सर्व |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
सर्व |
च/असं, म×असं |
सर्व |
|
" प्रतर " |
|
३४१-३४२ |
औदारिक मिश्र काय योगी |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणान्तिकवत् |
|
|
३४३ |
वैक्रियक काय योगी |
|
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/अ सं, म×असं |
|
|
|
३४४ |
वैक्रियक मिश्र काय योगी |
|
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
|
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
|
|
|
|
|
३४५ |
आहारक काय योगी |
|
च/असं, म×सं |
च/असं, म×सं |
|
|
च/असं, म×असं |
|
|
|
३४६ |
आहारक मिश्र काय योगी |
|
च/असं, म×सं |
|
|
|
|
|
|
|
३४६ |
कार्माण काय योगी |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
|
सर्व |
प्रतर व लोक पूर्ण |
१०२ |
|
पाँचों मनो योगी |
१ |
— |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१०३ |
|
|
२-३ |
— |
— |
मूलोघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१०२-१०३ |
|
पाँचों वचन योगी |
१-१३ |
— |
— |
मनोयोगी वत् |
— |
— |
— |
— |
१०३ |
|
काय योगी सामान्य |
१ |
— |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१०३-१०४ |
|
|
२-१३ |
— |
— |
मूलोघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१०४ |
|
औदारिक काय योगी |
१ |
— |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
|
|
१०५ |
|
|
२-४ |
त्रि/असं, सं, घ, म×असं |
त्रि/असं, सं, घ, म×असं |
त्रि/असं, सं, घ, म×असं |
त्रि/असं, सं, घ, म×असं |
त्रि/असं, म×असं |
|
|
१०५ |
|
|
५-१३ |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
— |
— |
१०६ |
|
औदारिक मिश्र काय योगी |
१ |
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणान्तिकवत् |
|
१०७ |
|
|
२ |
च/असं, म×असं |
|
च/असं, म×असं |
|
|
मारणान्तिकवत् |
|
१०७ |
|
|
४ |
च/असं, म×सं |
|
च/असं, म×सं |
|
|
मारणान्तिकवत् |
|
१०८ |
|
|
१३ |
|
|
|
|
|
मारणान्तिकवत् |
मूलोघ वत् केवल कपाट |
१०८ |
|
वैक्रियक काय योगी |
१ |
— |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१०९ |
|
|
२-४ |
— |
— |
मूलोघ वत् |
— |
— |
— |
— |
१०९ |
|
वैक्रियक मिश्र काय योगी |
१-२ |
— |
— |
स्व ओध वत् |
— |
— |
— |
— |
१०९ |
|
|
४ |
च/असं, म×असं |
|
च/असं, म×असं |
|
|
मारणान्तिकवत् |
|
११० |
|
आहारक काय योगी |
६ |
— |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
११० |
|
आहारक मिश्र काय योगी |
६ |
— |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
११० |
|
कार्माण काययोगी |
१ |
— |
स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
— |
|
११० |
|
|
२,४ |
च/असं, म×असं |
च/असं, म×असं |
|
|
|
च/असं, म×असं |
|
१११ |
|
|
१३ |
|
|
|
|
|
|
ओघ वत् प्रतर व लोकपूर्ण |