विशुद्धयंग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p>आजीविका के षट्कर्मों में हुई हिंसा की विशुद्धि के तीन अंग-पक्ष, चर्या और साधन । इनमें मंत्री, प्रमोद, कारुण्य और | <div class="HindiText"> <p>आजीविका के षट्कर्मों में हुई हिंसा की विशुद्धि के तीन अंग-पक्ष, चर्या और साधन । इनमें मंत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ,भाव से समस्त हिंसा का त्याग करना पक्ष है । किसी देवी-देवता के लिए, मंत्र की सिद्धि के लिए, औषधि और आहार के लिए हिंसा नहीं करना चर्या तथा आयु के अंत में शरीर का आहार और समस्त चेष्टाओं का परित्याग करके ध्यान की शुद्धि से आत्मा को शुद्ध करना साधन कहलाता है । <span class="GRef"> महापुराण 39.143-149 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Revision as of 14:49, 1 February 2023
आजीविका के षट्कर्मों में हुई हिंसा की विशुद्धि के तीन अंग-पक्ष, चर्या और साधन । इनमें मंत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ,भाव से समस्त हिंसा का त्याग करना पक्ष है । किसी देवी-देवता के लिए, मंत्र की सिद्धि के लिए, औषधि और आहार के लिए हिंसा नहीं करना चर्या तथा आयु के अंत में शरीर का आहार और समस्त चेष्टाओं का परित्याग करके ध्यान की शुद्धि से आत्मा को शुद्ध करना साधन कहलाता है । महापुराण 39.143-149