व्यवहारपल्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> व्यवहारपल्योपम काल का परिणाम बताने के लिए बनाया गया एक योजन प्रमाण लंबा और इतना ही चौड़ा तथा गहरा चारों ओर दीवाल से युक्त गर्त । इसमें एक से सात दिन तक के भेंड के ऐसे बाल जिनका दूसरा | <div class="HindiText"> <p> व्यवहारपल्योपम काल का परिणाम बताने के लिए बनाया गया एक योजन प्रमाण लंबा और इतना ही चौड़ा तथा गहरा चारों ओर दीवाल से युक्त गर्त । इसमें एक से सात दिन तक के भेंड के ऐसे बाल जिनका दूसरा टुकड़ा न हो सके, कूट-कूट कर भर दिये जाते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.47-48 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 22:25, 3 February 2023
व्यवहारपल्योपम काल का परिणाम बताने के लिए बनाया गया एक योजन प्रमाण लंबा और इतना ही चौड़ा तथा गहरा चारों ओर दीवाल से युक्त गर्त । इसमें एक से सात दिन तक के भेंड के ऐसे बाल जिनका दूसरा टुकड़ा न हो सके, कूट-कूट कर भर दिये जाते हैं । हरिवंशपुराण 7.47-48