वेणु: Difference between revisions
From जैनकोष
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
Line 32: | Line 32: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] | [[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 21:05, 7 February 2023
सिद्धांतकोष से
- विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का अड़तीसवाँ नगर (देखें विद्याधर ) ।
- मानुषोत्तर पर्वत के रत्नकूट का स्वामी गरुडकुमार देव–देखें लोक - 5.10 ।
- शाल्मली वृक्ष का रक्षक देव ।–देखें लोक - 3.13 ।
पुराणकोष से
(1) मानुषोत्तर पर्वत के पूर्व-दक्षिण कोण में स्थित रत्नकूट का एक देव । यह नागकुमारों का स्वामी था । हरिवंशपुराण 5.607
(2) मेरु पर्वत की दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित शाल्मली वृक्ष की शाखाओं पर बने भवनों का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण 5. 190
(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का अड़तीसवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22.89
(4) असुरकुमार आदि दस जाति के भवनवासी देवों के बीस इंद्र और बहस प्रतींद्रों में पाँचवाँ इंद्र एव प्रतींद्र । यह तीर्थंकर महावीर के केवलज्ञान की पूजा के लिए महीतल पर आया था । वीरवर्द्धमान चरित्र 14.54, 57-58