गुणनंदि: Difference between revisions
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<li>नन्दिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप जयनन्दि के शिष्य तथा वज्रनन्दि के गुरु थे। समय वि.शक स.३५८-३६४ (ई.४३६-४४२)। (– देखें - [[ इतिहास#7.2 | इतिहास / ७ / २ ]])। मर्करा के ताम्रपट में इनका नाम कुन्दकुन्दान्वय में लिया गया है। अन्वय में छह आचार्यों का उल्लेख है, तहा̐ इनका नाम सबके अन्त में है। ताम्रपट का समय–श.३८८ (ई.४६६) है। तदनुसार भी इनका समय ऊपर से लगभग मेल खाता है। (क.पा.१/प्र.६१/पं.महेन्द्र)। </li> | |||
<li> गुणनन्दि नं.२, नन्दिसंघ के देशीय गण के अनुसार अकलंकदेव की आम्नाय में देवेन्द्राचार्य के गुरु थे। समय–वि.सं. ९००-९३० (ई.८४३-८७३)। (ष.खं.२/प्र.१०/H.L.Jain); ( देखें - [[ इतिहास#7.6 | इतिहास / ७ / ६ ]])। </li> | |||
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Revision as of 22:16, 24 December 2013
- नन्दिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप जयनन्दि के शिष्य तथा वज्रनन्दि के गुरु थे। समय वि.शक स.३५८-३६४ (ई.४३६-४४२)। (– देखें - इतिहास / ७ / २ )। मर्करा के ताम्रपट में इनका नाम कुन्दकुन्दान्वय में लिया गया है। अन्वय में छह आचार्यों का उल्लेख है, तहा̐ इनका नाम सबके अन्त में है। ताम्रपट का समय–श.३८८ (ई.४६६) है। तदनुसार भी इनका समय ऊपर से लगभग मेल खाता है। (क.पा.१/प्र.६१/पं.महेन्द्र)।
- गुणनन्दि नं.२, नन्दिसंघ के देशीय गण के अनुसार अकलंकदेव की आम्नाय में देवेन्द्राचार्य के गुरु थे। समय–वि.सं. ९००-९३० (ई.८४३-८७३)। (ष.खं.२/प्र.१०/H.L.Jain); ( देखें - इतिहास / ७ / ६ )।