सकल परमात्मा: Difference between revisions
From जैनकोष
Vandana Jain (talk | contribs) No edit summary |
Vandana Jain (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] | [[Category: द्रव्यानुयोग]] | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> घातिया कर्मों से मुक्त परमौदारिक दिव्य देह में स्थित अर्हंत । ये अनंतज्ञान आदि नौ केवललब्धियों के धारक होते हैं । धर्मोपदेश से भव्य जीवों का उद्धार करते हैं और समस्त अतिशयों से युक्त होते हैं । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.84-88 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> घातिया कर्मों से मुक्त परमौदारिक दिव्य देह में स्थित अर्हंत । ये अनंतज्ञान आदि नौ केवललब्धियों के धारक होते हैं । धर्मोपदेश से भव्य जीवों का उद्धार करते हैं और समस्त अतिशयों से युक्त होते हैं । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.84-88 </span></p> | ||
Line 24: | Line 23: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: | [[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Revision as of 09:47, 17 February 2023
सिद्धांतकोष से
कार्तिकेयानुप्रेक्षा 198 स-सरीरा अरहंता केवल-णाणेण मुणिय सयलत्था। 198। केवलज्ञान से जान लिये हैं सकल पदार्थ जिन्होंने ऐसे शरीर सहित अर्हंत सकल परमात्मा हैं ।
अधिक जानकारी के लिए देखें परमात्मा - 1।)
पुराणकोष से
घातिया कर्मों से मुक्त परमौदारिक दिव्य देह में स्थित अर्हंत । ये अनंतज्ञान आदि नौ केवललब्धियों के धारक होते हैं । धर्मोपदेश से भव्य जीवों का उद्धार करते हैं और समस्त अतिशयों से युक्त होते हैं । वीरवर्द्धमान चरित्र 16.84-88