श्रेयस्कर: Difference between revisions
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Revision as of 17:34, 19 February 2023
सिद्धांतकोष से
तत्त्वार्थसूत्र/4/25 सारस्वतादित्यवह्नयरुणगर्दतोयतुषिताव्यावाधारिष्टाश्च।25।
सर्वार्थसिद्धि/4/25/256/3 सारस्वतादित्यांतरे अग्न्याभसूर्याभाः। आदित्यस्य च वहंश्चांतरे चंद्राभसत्याभाः। वह्नयरुणांतराले श्रेयस्करक्षेमंकराः। अरुणगर्दतोयांतंतराले वृषभेष्ट - कामचाराः। गर्दतोयतुषितमध्ये निर्माणरजोदिगंतरक्षिताः। तुषिताव्याबाधमध्ये आत्म रक्षितसर्वरक्षिताः। अव्याबाधारिष्टांतराले मरुद्वसवः। अरिष्टसारस्वतांतराले अश्वविश्वाः। = सारस्वत, आदित्य, वह्नि, अरुण, गर्दतोय, तुषित, अव्याबाध और अरिष्ट ये लौकांतिक देव हैं।25। च शब्द से इनके मध्य में दो-दो देवगण और हैं इनका संग्रह होता है यथा−सारस्वत और आदित्य के मध्य में अग्न्याभ और सूर्याभ हैं। आदित्य और वह्नि के मध्य में चंद्राभ और सत्याभ हैं । वह्नि और अरुण के मध्य में श्रेयस्कर और क्षेमंकर, अरुण और गर्दतोय के मध्य में वृषभेष्ट और कामचर, गर्दतोय और तुषित के मध्य में निर्माणरजस् और दिगंतरक्षित हैं। और तुषित अव्याबाध के मध्य में आत्मरक्षित और सर्वरक्षित, अव्याबाध और अरिष्ट के मध्य में मरुत् और वसु हैं। तथा अरिष्ट और सारस्वत के मध्य में अश्व और विश्व हैं।
लौकांतिक देवों का एक भेद और अन्य जानकारी के लिये देखें लौकांतिक देव - 2।
पुराणकोष से
तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का पुत्र । महापुराण 57.46