आत्मप्रवाद: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">द्वादशांग के बारहवें अंग के चौदह पूर्वों में से सातवाँ पूर्व आत्मप्रवाद है।</p> | |||
<p><span class="GRef"> राजवार्तिक/1/20/12/-74/11 से 78/2 तक</span> <span class="SanskritText">यत्रात्मनोऽस्तित्वनास्तित्व...धर्मा: षड्जीवनिकायभेदाश्च युक्तितो निर्दिष्टा: तदात्मप्रवादम् ।</span> =<span class="HindiText"> | |||
<strong>आत्म प्रवाद</strong> में आत्म द्रव्य का और छह जीव निकायों का अस्ति-नास्ति आदि विविध भंगों से निरूपण है। <br> | |||
<p class="HindiText"> अन्य अंगों के सम्बन्ध में विशेष जानने हेतु देखें [[शब्द लिंगज श्रुतज्ञान विशेष]]<br > | |||
श्रुतज्ञान को जानने हेतु देखें [[ श्रुतज्ञान#III | श्रुतज्ञान - III]]।</p> | |||
Revision as of 16:41, 26 February 2023
द्वादशांग के बारहवें अंग के चौदह पूर्वों में से सातवाँ पूर्व आत्मप्रवाद है।
राजवार्तिक/1/20/12/-74/11 से 78/2 तक यत्रात्मनोऽस्तित्वनास्तित्व...धर्मा: षड्जीवनिकायभेदाश्च युक्तितो निर्दिष्टा: तदात्मप्रवादम् । =
आत्म प्रवाद में आत्म द्रव्य का और छह जीव निकायों का अस्ति-नास्ति आदि विविध भंगों से निरूपण है।
अन्य अंगों के सम्बन्ध में विशेष जानने हेतु देखें शब्द लिंगज श्रुतज्ञान विशेष
श्रुतज्ञान को जानने हेतु देखें श्रुतज्ञान - III।