कारक व्यभिचार: Difference between revisions
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<span class="HindiText">नोट‒यद्यपि व्याकरण शास्त्र भी शब्द प्रयोग के दोषों को स्वीकार नहीं करता, परंतु कहीं-कहीं अपवादरूप से भिन्न लिंग आदि वाले शब्दों का भी सामानाधिकरण्य रूप से प्रयोग कर देता है। तहाँ शब्दनय उन दोषों का भी निराकरण करता है। उन दोषों में से एक कारक व्यछभिचार निम्न प्रकार हैं—</span> | |||
<span class="HindiText">आगे होने वाला कार्य हो चुका। यहाँ पर भूतकाल के स्थान पर भविष्य काल का कथन किया गया है। 4. एक साधन अर्थात् एक कारक के स्थान पर दूसरे कारक के प्रयोग करने को साधन या '''कारक व्यभिचार''' कहते हैं।</span> | |||
<span class="HindiText">विस्तार के लिये देखें[[ नय#III.6.8 | नय - III.6.8]]।</span> <br /> | |||
<span class="HindiText"> जीव शरीर संबंध व उसकी मुख्यता गौणता का समन्वय - देखें [[ बंध#4 | बंध - 4]]।</span> | |||
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Revision as of 14:21, 27 February 2023
नोट‒यद्यपि व्याकरण शास्त्र भी शब्द प्रयोग के दोषों को स्वीकार नहीं करता, परंतु कहीं-कहीं अपवादरूप से भिन्न लिंग आदि वाले शब्दों का भी सामानाधिकरण्य रूप से प्रयोग कर देता है। तहाँ शब्दनय उन दोषों का भी निराकरण करता है। उन दोषों में से एक कारक व्यछभिचार निम्न प्रकार हैं— आगे होने वाला कार्य हो चुका। यहाँ पर भूतकाल के स्थान पर भविष्य काल का कथन किया गया है। 4. एक साधन अर्थात् एक कारक के स्थान पर दूसरे कारक के प्रयोग करने को साधन या कारक व्यभिचार कहते हैं।
विस्तार के लिये देखें नय - III.6.8।
जीव शरीर संबंध व उसकी मुख्यता गौणता का समन्वय - देखें बंध - 4।