यष्टि: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) कुलकर क्षेमंधर द्वारा करू पशुओं से रक्षा करने के लिए बताया गया एक शस्त्र-लाठी । <span class="GRef"> महापुराण 3. 105, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 62.7 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) कुलकर क्षेमंधर द्वारा करू पशुओं से रक्षा करने के लिए बताया गया एक शस्त्र-लाठी । <span class="GRef"> महापुराण 3. 105, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 62.7 </span></p> | ||
<p id="2">(2) मोती और रत्नों से निर्मित हार । यह शीर्षक, उपशीर्षक, अवघाटक, प्रकांडक और तरलप्रबंध के भेद से पाँच प्रकार का होता है । | <p id="2">(2) मोती और रत्नों से निर्मित हार । यह शीर्षक, उपशीर्षक, अवघाटक, प्रकांडक और तरलप्रबंध के भेद से पाँच प्रकार का होता है । लड़ियों के भेद से इसके पचपन भेद होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 16.46-47, 63-64 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: य]] | [[Category: य]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 14:10, 6 March 2023
(1) कुलकर क्षेमंधर द्वारा करू पशुओं से रक्षा करने के लिए बताया गया एक शस्त्र-लाठी । महापुराण 3. 105, पद्मपुराण 62.7
(2) मोती और रत्नों से निर्मित हार । यह शीर्षक, उपशीर्षक, अवघाटक, प्रकांडक और तरलप्रबंध के भेद से पाँच प्रकार का होता है । लड़ियों के भेद से इसके पचपन भेद होते हैं । महापुराण 16.46-47, 63-64