शांतिमति: Difference between revisions
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Revision as of 16:40, 6 March 2023
जंबूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के शुक्रप्रभ नगर के राजा वायुवेग तथा रानी सुकांता की पुत्री। इसने मुनिसागर पर्वत पर विद्या सिद्ध की थी। राजा वज्रायुध से अपना पूर्वभव सुनकर यह संसार से विरक्त हो गयी और इसने सुलक्षणा आर्यिका से संयम धारण कर लिया था। अंत में यह संन्यासमरण कर ऐशान स्वर्ग में देव हुई। महापुराण 63.91-95, 111-113