अरिजंय: Difference between revisions
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<p id="10">(10) भीलराज हरिविक्रम का सेवक । <span class="GRef"> महापुराण 75.478-481 </span></p> | <p id="10">(10) भीलराज हरिविक्रम का सेवक । <span class="GRef"> महापुराण 75.478-481 </span></p> | ||
<p>(11 । चारण ऋद्धिधारी आदित्यगति मुनि के साथ आये अवधिज्ञानी मुनि । ये दोनों मुनि युगंधर स्वामी के समवसरण के प्रधान मुनि थे । <span class="GRef"> महापुराण 5.193-196 </span></p> | <p>(11 । चारण ऋद्धिधारी आदित्यगति मुनि के साथ आये अवधिज्ञानी मुनि । ये दोनों मुनि युगंधर स्वामी के समवसरण के प्रधान मुनि थे । <span class="GRef"> महापुराण 5.193-196 </span></p> | ||
<p id="12">(12) मुनि, रेणुकी के | <p id="12">(12) मुनि, रेणुकी के बड़े भाई । इन्होंने रेणुकी को शील और सम्यक्त्व का उपदेश दिया था और कामधेनु विद्या तथा मंत्र सहित परशु भी दिये थे । <span class="GRef"> महापुराण 65.93-98 </span></p> | ||
<p id="13">(13) अरिंदमपुर का नृप । <span class="GRef"> महापुराण 70.30 </span></p> | <p id="13">(13) अरिंदमपुर का नृप । <span class="GRef"> महापुराण 70.30 </span></p> | ||
<p id="14">(14) एक चारणमुनि । इनके साथ आदित्यगति मुनि थे । राजा श्रीषेण ने ईन मुनियों की वंदना की थी तथा इन्हें आहार दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 348 </span></p> | <p id="14">(14) एक चारणमुनि । इनके साथ आदित्यगति मुनि थे । राजा श्रीषेण ने ईन मुनियों की वंदना की थी तथा इन्हें आहार दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 348 </span></p> | ||
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Revision as of 19:30, 24 March 2023
(1) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित साठ नगरों में एक नगर । हरिवंशपुराण 22.86
(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के पचास नगरों में चौथा नगर । लक्ष्मण ने यहाँ के राजा को अपने अधीन किया था । महापुराण 19.41, 53, पद्मपुराण 94.1-7, हरिवंशपुराण 22.93
(3) श्वेत अश्वों द्वारा चालित जयकुमार का इस नाम का एक रथ । महापुराण 44.320, पांडवपुराण 3. 109
(4) विनमि का पुत्र । हरिवंशपुराण 22.103-104
(5) धातकीखंड के पश्चिम विदेह क्षेत्र का निवासी, जयवती का पति, क्रूरामर और धनश्रुति का पिता । पद्मपुराण 5.128-129
(6) चित्रपुर का राजा । महापुराण 62.66-67, पांडवपुराण 4.26
(7) जयकुमार के साथ दीक्षित उनका पुत्र । महापुराण 47. 281-283
(8) अरिंजयपुर का राजा । इसकी रानी अजितसेना और प्रीतीमती पुत्री थी । हरिवंशपुराण 34.18
(9) जंबूद्वीप के कोशल देश संबंधी साकेत (अयोध्या) का राजा । इसने सिद्धार्थ वन में माहेंद्र गुरु से धर्मोपदेश सुना और अपने पुत्र अरिंदम को राज्य सौंपकर माहेंद्र गुरु से ही संयम ग्रहण कर लिया था । महापुराण 72.25-29
(10) भीलराज हरिविक्रम का सेवक । महापुराण 75.478-481
(11 । चारण ऋद्धिधारी आदित्यगति मुनि के साथ आये अवधिज्ञानी मुनि । ये दोनों मुनि युगंधर स्वामी के समवसरण के प्रधान मुनि थे । महापुराण 5.193-196
(12) मुनि, रेणुकी के बड़े भाई । इन्होंने रेणुकी को शील और सम्यक्त्व का उपदेश दिया था और कामधेनु विद्या तथा मंत्र सहित परशु भी दिये थे । महापुराण 65.93-98
(13) अरिंदमपुर का नृप । महापुराण 70.30
(14) एक चारणमुनि । इनके साथ आदित्यगति मुनि थे । राजा श्रीषेण ने ईन मुनियों की वंदना की थी तथा इन्हें आहार दिया था । महापुराण 62. 348
(15) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 167