क्षेत्र - काय: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 406: | Line 406: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: क्ष]] | [[Category: क्ष]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 10:30, 17 April 2023
- काय मार्गणा
प्रमाण |
मार्गणा |
गुण स्थान |
स्वस्थान स्वस्थान |
विहारवत् स्वस्थान |
वेदना व कषाय समुद्घात |
वैक्रियक समुद्घात |
मारणांतिक समुद्घात |
उपपाद |
तैजस, आहारक व केवली समु. |
|
नं. 1 पृ. |
नं. 2 पृ. |
|||||||||
|
|
|
|
|
|
|
|
|
||
|
329 |
पृथिवी सूक्ष्म पर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
329 |
पृथिवी सूक्ष्म अपर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
334 |
पृथिवी बादर पर्याप्त |
|
च/असं, म×असं |
|
च/असं, म×असं |
|
त्रि/असं,ति×असं,म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
330-333 |
पृथिवी बादर अपर्याप्त |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
329 |
अप. के सर्व विकल्प |
|
— |
— |
पृथिवी वत् |
— |
— |
— |
— |
|
329 |
तेज सूक्ष्म पर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
सर्व/असं |
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
329 |
तेज सूक्ष्म अपर्याप्त |
|
— |
— |
पृथिवी वत् |
— |
— |
— |
— |
|
335 |
तेज बादर पर्याप्त |
|
सर्व/असं |
|
सर्व/असं |
सर्व/असं,ति/सं |
च/असं, म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
330-330 |
तेज बादर अपर्याप्त |
|
— |
— |
पृथिवी वत् |
— |
— |
— |
— |
|
339 |
वायु सूक्ष्म पर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
च/असं |
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
339 |
वायु सूक्ष्म अपर्याप्त |
|
— |
— |
पृथिवी वत् |
— |
— |
— |
— |
|
337 |
वायु बादर पर्याप्त |
|
त्रि/असं,ति×असं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×असं,म×असं |
च/असं |
त्रि/सं,ति×असं,म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
346 |
वायु बादर अपर्याप्त |
|
त्रि/असं,ति×असं,म×असं |
|
त्रि/सं,ति×असं,म×असं |
च/असं |
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
335 |
वन.अप्रतिष्ठित प्रत्येक पर्याप्त |
|
ति/सं |
|
ति/सं |
|
त्रि/सं,ति×असं,म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
330-333 |
वन.अप्रतिष्ठित प्रत्येक अपर्याप्त |
|
— |
— |
पृथिवी वत् |
— |
— |
— |
— |
|
337-339 |
वन. प्रतिष्ठित सू.पर्याप्त |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं, म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
वन. प्रतिष्ठित सू. अपर्याप्त |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं, म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
वन. प्रतिष्ठित बा.पर्याप्त |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं, म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
वन. प्रतिष्ठित बा. अपर्याप्त |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं,म×असं |
|
त्रि/असं,ति×सं, म×असं |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
साधारण निगोद सू.पर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
साधारण निगोद सू. अपर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
साधारण निगोद बा.पर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
साधारण निगोद बा.अपर्याप्त |
|
सर्व |
|
सर्व |
|
सर्व |
मारणांतिकवत् |
|
|
337-339 |
त्रस के सर्व विकल्प |
|
— |
— |
पंचेंद्रिय वत् |
— |
— |
— |
— |
88-100 |
|
स्थावर के सर्व विकल्प |
1 |
— |
— |
स्व स्व ओघ वत् |
— |
— |
— |
|
101 |
|
त्रस काय पर्याप्त |
1 |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/सं, म×असं |
त्रि×असं, ति/असं |
मारणांतिकवत् |
|
101 |
|
|
2-14 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
— |
|
101 |
|
त्रस काय अपर्याप्त |
1 |
च/असं, म×असं |
|
च/असं, म×असं |
|
त्रि×असं, ति/असं |
मारणांतिकवत् |
|