चौंतीस अतिशय व्रत: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> देवकृत १४ अतिशयों के लिए १४ चतुर्दशिया;</li> | |||
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<li class="HindiText"> आठ प्रातिहार्यों के लिए ८ अष्टमिया; </li> | |||
<li class="HindiText"> पंच ज्ञानों के लिए ५ पंचमिया; </li> | |||
<li class="HindiText"> तथा ६ षष्ठिया–इस प्रकार कुल ६५ उपवास। ‘ओं ह्रीं णमो अर्हंताणं’ मंत्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान संग्रह, पृ.१०९), (किशन सिंह क्रिया कोश)। </li> | |||
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Revision as of 15:15, 25 December 2013
निम्न प्रकार ६५ उपवास कुल २ वर्ष ८ मास १५ दिन में पूरे होते हैं।
- जन्म के १० अतिशयों के लिए १० दशमिया;
- केवलज्ञान के १० अतिशयों के लिए १० दशमिया;
- देवकृत १४ अतिशयों के लिए १४ चतुर्दशिया;
- चार अनन्त चतुष्टयों के लिए ४ चौथ;
- आठ प्रातिहार्यों के लिए ८ अष्टमिया;
- पंच ज्ञानों के लिए ५ पंचमिया;
- तथा ६ षष्ठिया–इस प्रकार कुल ६५ उपवास। ‘ओं ह्रीं णमो अर्हंताणं’ मंत्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान संग्रह, पृ.१०९), (किशन सिंह क्रिया कोश)।