चक्रवर्ती: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
बारह चक्रवर्तियों का परिचय–देखें [[ द्वादश_चक्रवर्ती_निर्देश | द्वादश चक्रवर्ती निर्देश ]]। | <div class="HindiText">बारह चक्रवर्तियों का परिचय–देखें [[ द्वादश_चक्रवर्ती_निर्देश | द्वादश चक्रवर्ती निर्देश ]]। | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 24: | Line 25: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 15:15, 12 May 2023
सिद्धांतकोष से
पुराणकोष से
चक्ररत्न का स्वामी । यह षट्खंडाधिपति, दिग्विजयी, बत्तीस हजार राजाओं का अधिराज, शंख, अंकुश आदि चक्री के लक्षणों से चिह्नित, चौदह महारत्नों का स्वामी, नवनिधिधारी, सुकृती और दस प्रकार के भोगों से संपन्न होता है । यह भरत, ऐरावत और विदेह इन तीन क्षेत्रों में होता है । महापुराण 2.117,6. 194-204, 23.60, हरिवंशपुराण 1. 19 वर्तमान काल के बारह चक्रवर्ती ये हैं― भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, सुभूम, महापद्म, हरिषेण, जय और ब्रह्मदत्त । पद्मपुराण 5.222-224, हरिवंशपुराण 60,286-287,298 भविष्य मे जो बारह चक्रवर्ती होंगे उनके नाम इस प्रकार हैं― भरत, दीर्घदंत, जंमदंत (मुक्तदंत) गूढ़दत्त (गूढ़दंत) श्रीषेण, श्रीभूति, श्रीकांत, पद्म, महापद्म, चित्रवाहन (विचित्रवाहन) विमलवाहन और अरिष्टसेन । महापुराण 76.4852-484, हरिवंशपुराण 60.563-565 एक समय में यह एक ही होता है । एक चक्रवर्ती दूसरे चक्रवती को, एक नारायण दूसरे नारायण को, एक बलभद्र दूसरे बलभद्र को और एक तीर्थंकर दूसरे तीर्थंकर को देख नहीं पाते । पांडवपुराण 22.10-11