चिकित्सा: Difference between revisions
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अधिक जानकारी के लिये देखें [[ आहार#4.1.1 | आहार - II.4]]</li><br> | |||
<li> '''वस्तिका का दोष'''<br> | |||
<span class="GRef"> भगवती आराधना / विजयोदया टीका 230/444/6 </span><span class="SanskritText">उत्पादनदोषा निरूप्यंते - .....अष्टविधया चिकित्सया लब्धा चिकित्सोत्पादिता । .... उत्पादनाख्योऽभिहितो दोषः षोडशप्रकारः ।</span><span class="HindiText">....आठ प्रकार की चिकित्सा करके वसतिका की प्राप्ति करना '''चिकित्सा''' नामक दोष है । </span><br> | |||
अधिक जानकारी के लिये देखें–देखें [[ वस्तिका ]]। </li> | |||
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Latest revision as of 09:38, 30 June 2023
- आहार का दोष
मूलाचार / आचारवृत्ति / गाथा 447-461 सोलह उत्पादन दोष-...कोमारतणुतिगिंछारसायणविसभूदखारतंतं च। सालंकियं च सल्लं तिगिंछदोसो दु अट्ठविहो ॥452॥.... चिकित्सा दोष - चिकित्सा शास्त्र के आठ भेद हैं - बालचिकित्सा, शरीरचिकित्सा, रसायन, विषतंत्र, भूततंत्र, क्षारतंत्र शलाकाक्रिया, शल्यचिकित्सा। इनका उपदेश देकर आहार लेने से चिकित्सा दोष होता है ॥452॥
अधिक जानकारी के लिये देखें आहार - II.4 - वस्तिका का दोष
भगवती आराधना / विजयोदया टीका 230/444/6 उत्पादनदोषा निरूप्यंते - .....अष्टविधया चिकित्सया लब्धा चिकित्सोत्पादिता । .... उत्पादनाख्योऽभिहितो दोषः षोडशप्रकारः ।....आठ प्रकार की चिकित्सा करके वसतिका की प्राप्ति करना चिकित्सा नामक दोष है ।
अधिक जानकारी के लिये देखें–देखें वस्तिका ।