जिनचंद्र: Difference between revisions
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<li> नन्दिसंघ की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु द्वि.के प्रशिष्य आ०माघनन्दि थे और उनके शिष्य जिनचन्द्र कुन्दकुन्द के गुरु थे। <strong>समय</strong>–प्र०दृष्टि के अनुसार श.सं.४०-४९ (वी.नि.६४५-६५४)। द्वि०दृष्टि के अनुसार वी.नि.६१४-६५४। दूसरी और एक जिन चन्द्र भद्रबाहु गणी के प्रशिष्य थे जिन्होंने वि.सं.१३६ (वी.नि.६०६) में श्वेताम्बर संघ की नींव डाली थी। विशेष दे.कोश १/परिशिष्ट ४/३)। </li> | |||
<li> मुनि चन्द्रनन्दि के शिष्य। कन्नड़ कवि पोन्न के शान्ति पुराण में उल्लिखित। पोन्न (वि.१००७ ई.९५०) से पूर्व। (जै./२/३६५)। </li> | |||
<li> भास्कर नन्दि के गुरु। कृति–सिद्धान्तसार। ई.श.११ उत्तरार्ध १२ का पूर्व। (ती./३/१८६)। </li> | |||
<li> श्रवण बेल के शिलालेख नं.५५ या ६९ (वि.१२५७) में माघनन्दि (वि.१२५०) के पश्चात् उल्लिखित। वि.१२७५ (ई.१२१८)। (जै./२/३६६)। </li> | |||
<li> तत्त्वार्थ सूत्र की सुखबोधिनी टीका के रचयिता। समय–लगभग वि.१३५३ (ई.१२९६)। (जै./१/४५१)। </li> | |||
<li> नन्दिसंघ बलात्कारगण दिल्ली गद्दी के भट्टारक। कृति–सिद्धान्तसार चतुर्विंशति स्तोत्र। समय–वि.१५०७-१५७१ (ई०१४५०-१५१४)। (ती./३/३८१)।</li> | |||
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Revision as of 15:16, 25 December 2013
- नन्दिसंघ की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु द्वि.के प्रशिष्य आ०माघनन्दि थे और उनके शिष्य जिनचन्द्र कुन्दकुन्द के गुरु थे। समय–प्र०दृष्टि के अनुसार श.सं.४०-४९ (वी.नि.६४५-६५४)। द्वि०दृष्टि के अनुसार वी.नि.६१४-६५४। दूसरी और एक जिन चन्द्र भद्रबाहु गणी के प्रशिष्य थे जिन्होंने वि.सं.१३६ (वी.नि.६०६) में श्वेताम्बर संघ की नींव डाली थी। विशेष दे.कोश १/परिशिष्ट ४/३)।
- मुनि चन्द्रनन्दि के शिष्य। कन्नड़ कवि पोन्न के शान्ति पुराण में उल्लिखित। पोन्न (वि.१००७ ई.९५०) से पूर्व। (जै./२/३६५)।
- भास्कर नन्दि के गुरु। कृति–सिद्धान्तसार। ई.श.११ उत्तरार्ध १२ का पूर्व। (ती./३/१८६)।
- श्रवण बेल के शिलालेख नं.५५ या ६९ (वि.१२५७) में माघनन्दि (वि.१२५०) के पश्चात् उल्लिखित। वि.१२७५ (ई.१२१८)। (जै./२/३६६)।
- तत्त्वार्थ सूत्र की सुखबोधिनी टीका के रचयिता। समय–लगभग वि.१३५३ (ई.१२९६)। (जै./१/४५१)।
- नन्दिसंघ बलात्कारगण दिल्ली गद्दी के भट्टारक। कृति–सिद्धान्तसार चतुर्विंशति स्तोत्र। समय–वि.१५०७-१५७१ (ई०१४५०-१५१४)। (ती./३/३८१)।