पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 94 - समय-व्याख्या: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:26, 30 June 2023
तम्हा धम्माधम्मा गमणट्ठिदिकारणाणि णगासं । (94)
इदि जिणवरेहिं भणिदं लोगसहावं सुणंताणं ॥102॥
अर्थ:
इसलिए गति-स्थिति के कारण धर्म-अधर्म हैं, आकाश नहीं है; ऐसा लोकस्वभाव के श्रोताओं से जिनवरों ने कहा है।
समय-व्याख्या:
आकाशस्य गतिस्थितिहेतुत्वनिरासव्याख्योपसंहारोऽयम् ।
धर्माधर्मावेव गतिस्थितिकारणे नाकाशमिति ॥९४॥
समय-व्याख्या हिंदी :
यह, आकाश को गति-स्थिति-हेतुत्व होने के खंडन सम्बन्धी कथन का उपसंहार है ।
धर्म और अधर्म ही गति और स्थिति के कारण हैं, आकाश नहीं ॥९४॥