छिन्ननिमित्त ज्ञान: Difference between revisions
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<span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति/4/1003-1016 </span><span class="PrakritGatha"> .... सुरदाणवरक्खसणरतिरिरगहिं छिण्णसत्थवत्थाणि। पासादणयरदेसादियाणि चिण्हाणि दट्ठूणं।1011। कालत्तयसंभूदं सुहासुहं मरणविविहदव्वं च। सुहदुक्खाइं लक्खइ चिण्हणिमित्तं ति तं जाणइ।1012। ......।1016।</span> | |||
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- देव, दानव, राक्षस, मनुष्य, मनुष्य और तिर्यंचों के द्वारा छेदे गये शस्त्र एवं वस्त्रादिक तथा प्रासाद, नगर और देशादिक चिन्हों को देखकर त्रिकालभावी शुभ, अशुभ, मरण विविध प्रकार के द्रव्य और सुख-दु:ख को जानना, यह <strong>चिन्ह या छिन्न निमित्तज्ञान</strong> है।1011-1012। <br /> | |||
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<span class="HindiText">देखें [[ निमित्तज्ञान#2 | निमित्त ज्ञान- 2]]।</span> | <span class="HindiText">देखें [[ निमित्तज्ञान#2 | निमित्त ज्ञान- 2]]।</span> |
Revision as of 14:38, 3 July 2023
तिलोयपण्णत्ति/4/1003-1016 .... सुरदाणवरक्खसणरतिरिरगहिं छिण्णसत्थवत्थाणि। पासादणयरदेसादियाणि चिण्हाणि दट्ठूणं।1011। कालत्तयसंभूदं सुहासुहं मरणविविहदव्वं च। सुहदुक्खाइं लक्खइ चिण्हणिमित्तं ति तं जाणइ।1012। ......।1016। = ......
- देव, दानव, राक्षस, मनुष्य, मनुष्य और तिर्यंचों के द्वारा छेदे गये शस्त्र एवं वस्त्रादिक तथा प्रासाद, नगर और देशादिक चिन्हों को देखकर त्रिकालभावी शुभ, अशुभ, मरण विविध प्रकार के द्रव्य और सुख-दु:ख को जानना, यह चिन्ह या छिन्न निमित्तज्ञान है।1011-1012।
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देखें निमित्त ज्ञान- 2।