हुंडसंस्थान: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> नामकर्म के छ: संस्थानों में एक संस्थान। अंगों और उपांगों की बेतरतीब-असमान रचना । नारकियों के शरीर की रचना ऐसी ही होती है । <span class="GRef"> | <div class="HindiText"> <p> नामकर्म के छ: संस्थानों में एक संस्थान। अंगों और उपांगों की बेतरतीब-असमान रचना । नारकियों के शरीर की रचना ऐसी ही होती है । <span class="GRef"> महापुराण 10.95 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.368 </span></p> | ||
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Revision as of 01:25, 4 July 2023
नामकर्म के छ: संस्थानों में एक संस्थान। अंगों और उपांगों की बेतरतीब-असमान रचना । नारकियों के शरीर की रचना ऐसी ही होती है । महापुराण 10.95 हरिवंशपुराण 4.368