तत्त्वानुशासन: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | |||
<li> आ०समन्तभद्र (ई०श०२) द्वारा रचित यह ग्रन्थ न्याय पूर्वक तत्त्वों का अनुशासन करता है। आज उपलब्ध नहीं है। (ती./२/१९८)। </li> | |||
<li> आ०रामसेन (ई०श०१२ उत्तरार्थ) द्वारा रचित संस्कृत छन्द बद्ध ध्यान विषयक ग्रन्थ। इसमें २५९ श्लोक हैं।(ती./३/२३८)। </li> | |||
</ol> | |||
[[तत्त्वसार | Previous Page]] | |||
[[तत्त्वार्थ | Next Page]] | |||
[[Category:त]] | |||
Revision as of 15:17, 25 December 2013
- आ०समन्तभद्र (ई०श०२) द्वारा रचित यह ग्रन्थ न्याय पूर्वक तत्त्वों का अनुशासन करता है। आज उपलब्ध नहीं है। (ती./२/१९८)।
- आ०रामसेन (ई०श०१२ उत्तरार्थ) द्वारा रचित संस्कृत छन्द बद्ध ध्यान विषयक ग्रन्थ। इसमें २५९ श्लोक हैं।(ती./३/२३८)।