सुषमा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> अवसर्पिणी का दूसरा | <div class="HindiText"> <p> अवसर्पिणी का दूसरा काल । इसका समय तीन कोड़ाकोड़ी सागर है, इस काल में मनुष्य चार हजार धनुष ऊंचे होते हैं । स्त्री पुरुष दोनों साथ-साथ युगल रूप में जन्मते हैं इनकी आयु दो पल्य की होती है । इस काल में मनुष्य दो दिन के अंतर से कल्पवृक्ष से प्राप्त बहेड़े के बराबर आहार करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 3.45-50, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3.49-63, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7. 58-69, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.87, 95-97 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 20:39, 13 July 2023
अवसर्पिणी का दूसरा काल । इसका समय तीन कोड़ाकोड़ी सागर है, इस काल में मनुष्य चार हजार धनुष ऊंचे होते हैं । स्त्री पुरुष दोनों साथ-साथ युगल रूप में जन्मते हैं इनकी आयु दो पल्य की होती है । इस काल में मनुष्य दो दिन के अंतर से कल्पवृक्ष से प्राप्त बहेड़े के बराबर आहार करते हैं । महापुराण 3.45-50, पद्मपुराण 3.49-63, हरिवंशपुराण 7. 58-69, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.87, 95-97