तादात्म्य संबंध: Difference between revisions
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स०सा०/३३/५७,६१ <span class="SanskritText">अग्नेरुष्णगुणेनैव सह तादात्म्यलक्षणसंबन्ध:।५७। यत्किल सर्वास्वप्यवस्थासु यदात्मकत्वेन व्याप्तं भवति तदात्मकत्वव्याप्तिशून्यं न भवति तस्य तै: सह तादात्म्यलक्षणसंबन्ध: स्यात् ।</span> =<span class="HindiText">अग्नि और उष्णता के साथ तादात्म्य रूप सम्बन्ध है।५७। जो निश्चय से समस्त ही अवस्थाओं में यद्–आत्मकपने से अर्थात् जिस स्वरूपपनै से व्याप्त हो और तद्–आत्मकपने की अर्थात् उस स्वरूपपने की व्याप्ति से रहित न हो उसका उनके साथ तादात्म्य लक्षण सम्बन्ध होता है। </span> | |||
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स०सा०/३३/५७,६१ अग्नेरुष्णगुणेनैव सह तादात्म्यलक्षणसंबन्ध:।५७। यत्किल सर्वास्वप्यवस्थासु यदात्मकत्वेन व्याप्तं भवति तदात्मकत्वव्याप्तिशून्यं न भवति तस्य तै: सह तादात्म्यलक्षणसंबन्ध: स्यात् । =अग्नि और उष्णता के साथ तादात्म्य रूप सम्बन्ध है।५७। जो निश्चय से समस्त ही अवस्थाओं में यद्–आत्मकपने से अर्थात् जिस स्वरूपपनै से व्याप्त हो और तद्–आत्मकपने की अर्थात् उस स्वरूपपने की व्याप्ति से रहित न हो उसका उनके साथ तादात्म्य लक्षण सम्बन्ध होता है।