देवागम स्तोत्र: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:29, 2 August 2023
तत्त्वार्थ सूत्र के मंगलाचरण पर आचार्य समंतभद्र (ई.श.2) द्वारा रचित 115 संस्कृत श्लोकबद्ध न्यायपूर्ण ग्रंथ है। इसका दूसरा नाम देवागम स्तोत्र भी है। इसमें न्यायपूर्वक भाववाद अभाववाद आदि एकांत मतों का निराकरण करते हुए भगवान् महावीर में आप्तत्व की सिद्धि की है। इस ग्रंथ पर निम्न टीकाएँ उपलब्ध हैं -
1. आचार्य अकलंक भट्ट (ई.620-680) कृत 800 श्लोक प्रमाण `अष्टशती'।
2. आचार्य विद्यानंदि (ई.775-840) कृत 8000 श्लोक प्रमाण अष्टसहस्री।
3. आचार्य वादीभसिंह (ई.770-860) कृत वृत्ति।
4. आचार्य वसुनंदि (ई.1043-1053) कृत वृत्ति।
5. पं. जयचंद्र छावड़ा (ई.1829) द्वारा लिखी गयी संक्षिप्त भाषा टीका।
(जैन साहित्य और इतिहास 2/303); (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/190)