देशचारित्र: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> धवला 1/1,1,13/173/10 </span><span class="SanskritText">संयताश्च ते असंयताश्च संयतासंयत:। | |||
</span> = <span class="HindiText">जो संयत होते हुए भी असंयत होते हैं, उन्हें संयतासंयत कहते हैं।</span> | |||
<span class="GRef"> धवला 1/1,1,13/174/7 </span><span class="SanskritText">औदयिकादिपंचसु गुणेषु कं गुणमाश्रित्य संयमासंयमगुण: समुत्पन्न इति चेत् क्षायोपशमिकोऽयं गुण:।...संयमासंयमधाराधिकृतसम्यक्त्वानि कियंतीति चेत्क्षायिकक्षायोपशमिकौपशमिकानि त्रीण्यपि भवंति पर्यायेण।</span> =<span class="HindiText"><strong>प्रश्न</strong> - औदयिकादि पाँच भावों में से किस भाव के आश्रय से संयमासंयम भाव पैदा होता है ? <strong>उत्तर</strong> - संयमासंयम भाव क्षायोपशमिक है। (और भी | |||
देखें [[ भाव#2.9 | भाव - 2.9]])। <strong>प्रश्न</strong> - संयमासंयमरूप '''देशचारित्र''' की धारा से संबंध रखने वाले कितने सम्यग्दर्शन होते हैं ? <strong>उत्तर</strong> - क्षायिक, क्षायोपशमिक व औपशमिक इन तीनों में से कोई एक सम्यग्दर्शन विकल्प रूप से होता है। (और भी देखें [[ भाव#2.12 | भाव - 2.12]])।</span> | |||
<span class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ संयतासंयत ]]।</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: द]] | [[Category: द]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 10:00, 2 August 2023
धवला 1/1,1,13/173/10 संयताश्च ते असंयताश्च संयतासंयत:। = जो संयत होते हुए भी असंयत होते हैं, उन्हें संयतासंयत कहते हैं।
धवला 1/1,1,13/174/7 औदयिकादिपंचसु गुणेषु कं गुणमाश्रित्य संयमासंयमगुण: समुत्पन्न इति चेत् क्षायोपशमिकोऽयं गुण:।...संयमासंयमधाराधिकृतसम्यक्त्वानि कियंतीति चेत्क्षायिकक्षायोपशमिकौपशमिकानि त्रीण्यपि भवंति पर्यायेण। =प्रश्न - औदयिकादि पाँच भावों में से किस भाव के आश्रय से संयमासंयम भाव पैदा होता है ? उत्तर - संयमासंयम भाव क्षायोपशमिक है। (और भी
देखें भाव - 2.9)। प्रश्न - संयमासंयमरूप देशचारित्र की धारा से संबंध रखने वाले कितने सम्यग्दर्शन होते हैं ? उत्तर - क्षायिक, क्षायोपशमिक व औपशमिक इन तीनों में से कोई एक सम्यग्दर्शन विकल्प रूप से होता है। (और भी देखें भाव - 2.12)।
अधिक जानकारी के लिये देखें संयतासंयत ।