दौलतराम: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | <ol class="HindiText"> | ||
<li> जयपुर राज्य के वकील बनकर उदयपुर गए और वहाँ 30 वर्ष रहे। कृतियें–अनेक पुराणों की वचनिकायें, परमात्मप्रकाश वचनिका। आत्मबत्तीसी, अध्यात्म बारहखड़ी, सार समुच्चय, तत्त्वार्थसूत्र भाषा; चौबीस दंडक, क्रियाकोष। टोडरमल कृत पुरुषार्थ सिद्धयुपाय की टीका पूर्ण की। समय–वि.1777-1829।</li> | <li> जयपुर राज्य के वकील बनकर उदयपुर गए और वहाँ 30 वर्ष रहे। कृतियें–अनेक पुराणों की वचनिकायें, परमात्मप्रकाश वचनिका। आत्मबत्तीसी, अध्यात्म बारहखड़ी, सार समुच्चय, तत्त्वार्थसूत्र भाषा; चौबीस दंडक, क्रियाकोष। टोडरमल कृत पुरुषार्थ सिद्धयुपाय की टीका पूर्ण की। समय–वि.1777-1829।</li> | ||
<li> हाथरस वासी कपड़ा छापने का व्यवसाय। पल्लीवाल जाति। हाथरस से मथुरा और वहाँ से लश्कर चले गये। कृतियें–छहढाला, पदसंग्रह। समय–जन्म वि.1855, मृत्यु-वि.1923। ( | <li> हाथरस वासी कपड़ा छापने का व्यवसाय। पल्लीवाल जाति। हाथरस से मथुरा और वहाँ से लश्कर चले गये। कृतियें–छहढाला, पदसंग्रह। समय–जन्म वि.1855, मृत्यु-वि.1923। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/288</span>)। </li> | ||
</ol> | </ol> | ||
Revision as of 09:35, 9 August 2023
- जयपुर राज्य के वकील बनकर उदयपुर गए और वहाँ 30 वर्ष रहे। कृतियें–अनेक पुराणों की वचनिकायें, परमात्मप्रकाश वचनिका। आत्मबत्तीसी, अध्यात्म बारहखड़ी, सार समुच्चय, तत्त्वार्थसूत्र भाषा; चौबीस दंडक, क्रियाकोष। टोडरमल कृत पुरुषार्थ सिद्धयुपाय की टीका पूर्ण की। समय–वि.1777-1829।
- हाथरस वासी कपड़ा छापने का व्यवसाय। पल्लीवाल जाति। हाथरस से मथुरा और वहाँ से लश्कर चले गये। कृतियें–छहढाला, पदसंग्रह। समय–जन्म वि.1855, मृत्यु-वि.1923। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/288)।