रैनमंजूसा: Difference between revisions
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हंसद्वीप के राजा कनककेतु की पुत्री थी। सहस्रकूट चैत्यालय के कपाट उघाड़ने से श्रीपाल से विवाही गयी थी। फिर धवलसेठ के इस पर मोहित होने पर धर्म में स्थित रही। अंत में दीक्षा ले, तपकर स्वर्ग सिधारी। (श्रीपालचरित्र)। | <span class="HindiText"> हंसद्वीप के राजा कनककेतु की पुत्री थी। सहस्रकूट चैत्यालय के कपाट उघाड़ने से श्रीपाल से विवाही गयी थी। फिर धवलसेठ के इस पर मोहित होने पर धर्म में स्थित रही। अंत में दीक्षा ले, तपकर स्वर्ग सिधारी। (<span class="GRef">श्रीपालचरित्र </span>)। </span> | ||
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Revision as of 16:42, 19 August 2023
हंसद्वीप के राजा कनककेतु की पुत्री थी। सहस्रकूट चैत्यालय के कपाट उघाड़ने से श्रीपाल से विवाही गयी थी। फिर धवलसेठ के इस पर मोहित होने पर धर्म में स्थित रही। अंत में दीक्षा ले, तपकर स्वर्ग सिधारी। (श्रीपालचरित्र )।