उष्ण: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> | <div class="HindiText"> (1) मेघ । अवसर्पिणी काल के अंत में सरस, विरस, तीक्ष्ण और रूक्ष नामक मेघों के क्रमश: सात-सात दिन बरसने के उपरांत सात दिन तक उष्ण नाम के मेघ वर्षा करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 76.452-453 </span></p> | ||
(2) इस नाम का एक परीषह । इसमें मार्ग से च्युत न होने के लिए उष्णता जनित कष्ट को सहन किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 36.116 </span></p> | |||
</div> | </div> | ||
Line 12: | Line 12: | ||
[[Category: उ]] | [[Category: उ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] | [[Category: चरणानुयोग]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 12:53, 4 September 2023
(1) मेघ । अवसर्पिणी काल के अंत में सरस, विरस, तीक्ष्ण और रूक्ष नामक मेघों के क्रमश: सात-सात दिन बरसने के उपरांत सात दिन तक उष्ण नाम के मेघ वर्षा करते हैं । महापुराण 76.452-453
(2) इस नाम का एक परीषह । इसमें मार्ग से च्युत न होने के लिए उष्णता जनित कष्ट को सहन किया जाता है । महापुराण 36.116