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<div class="HindiText"> <p> श्रावस्ती नगरी में उत्पन्न, कंप और उसकी भार्या अंगिका का पुत्र । धर्म की अनुमोदना करने से इसे यह पर्याय प्राप्त हुई था । अविनयी होने से पिता ने इसे घर से निकाल दिया था । वन में इसने अचल नामक पुरुष के पैर में लगे काँटे को निकाल दिया था इसलिए उसने इसे अपने हाथ का कड़ा दिया या । अचल ने ही इसे ‘अप’ यह नाम दिया था । अचल की सहायता से ही राज्य प्राप्त करने के बाद अंत में यह निर्ग्रंथ-दीक्षा लेकर संयमपूर्वक मरा और देवेंद्र हुआ । स्वर्ग से चयकर यह कृतांतवक्त्र नाम का शत्रुघ्न का बलवान् सेनापति हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 91.23-28, 39-42, 47 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> श्रावस्ती नगरी में उत्पन्न, कंप और उसकी भार्या अंगिका का पुत्र । धर्म की अनुमोदना करने से इसे यह पर्याय प्राप्त हुई था । अविनयी होने से पिता ने इसे घर से निकाल दिया था । वन में इसने अचल नामक पुरुष के पैर में लगे काँटे को निकाल दिया था इसलिए उसने इसे अपने हाथ का कड़ा दिया या । अचल ने ही इसे ‘अप’ यह नाम दिया था । अचल की सहायता से ही राज्य प्राप्त करने के बाद अंत में यह निर्ग्रंथ-दीक्षा लेकर संयमपूर्वक मरा और देवेंद्र हुआ । स्वर्ग से चयकर यह कृतांतवक्त्र नाम का शत्रुघ्न का बलवान् सेनापति हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_91#23|पद्मपुराण - 91.23-28]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_91#39|पद्मपुराण - 91.39-42]], 47 </span></p> | ||
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Revision as of 22:15, 17 November 2023
श्रावस्ती नगरी में उत्पन्न, कंप और उसकी भार्या अंगिका का पुत्र । धर्म की अनुमोदना करने से इसे यह पर्याय प्राप्त हुई था । अविनयी होने से पिता ने इसे घर से निकाल दिया था । वन में इसने अचल नामक पुरुष के पैर में लगे काँटे को निकाल दिया था इसलिए उसने इसे अपने हाथ का कड़ा दिया या । अचल ने ही इसे ‘अप’ यह नाम दिया था । अचल की सहायता से ही राज्य प्राप्त करने के बाद अंत में यह निर्ग्रंथ-दीक्षा लेकर संयमपूर्वक मरा और देवेंद्र हुआ । स्वर्ग से चयकर यह कृतांतवक्त्र नाम का शत्रुघ्न का बलवान् सेनापति हुआ । पद्मपुराण - 91.23-28,पद्मपुराण - 91.39-42, 47