इक्ष्वाकु: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) वृषभदेव द्वारा राज्यों की स्थिति के लिए स्थापित चार प्रमुख वंशों में प्रथम वंश । वृषभ इस वंश के महापुरुष थे । स्वर्ग से च्युत देव इसी वंश में उत्पन्न होते थे । आगे चलकर आदित्यवंश और सोमवंश इसी की दो शाखाएँ हुई । <span class="GRef"> महापुराण 1. 6,12.5, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 5.1-2, </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.4 </span>,13, 33, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.163-164 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) वृषभदेव द्वारा राज्यों की स्थिति के लिए स्थापित चार प्रमुख वंशों में प्रथम वंश । वृषभ इस वंश के महापुरुष थे । स्वर्ग से च्युत देव इसी वंश में उत्पन्न होते थे । आगे चलकर आदित्यवंश और सोमवंश इसी की दो शाखाएँ हुई । <span class="GRef"> महापुराण 1. 6,12.5, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#1|पद्मपुराण - 5.1-2]], </span><span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.4 </span>,13, 33, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.163-164 </span></p> | ||
<p id="2">(2) इक्षुरस― पान का उपदेश करने से वृषभदेव इस नाम से संबोधित किये गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 16.264 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.210, </span></p> | <p id="2">(2) इक्षुरस― पान का उपदेश करने से वृषभदेव इस नाम से संबोधित किये गये थे । <span class="GRef"> महापुराण 16.264 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 8.210, </span></p> | ||
<p id="3">(3) इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न पुरुष । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.210, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.4 </span></p> | <p id="3">(3) इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न पुरुष । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#210|पद्मपुराण -6. 210]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.4 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Revision as of 22:16, 17 November 2023
(1) वृषभदेव द्वारा राज्यों की स्थिति के लिए स्थापित चार प्रमुख वंशों में प्रथम वंश । वृषभ इस वंश के महापुरुष थे । स्वर्ग से च्युत देव इसी वंश में उत्पन्न होते थे । आगे चलकर आदित्यवंश और सोमवंश इसी की दो शाखाएँ हुई । महापुराण 1. 6,12.5, पद्मपुराण - 5.1-2, हरिवंशपुराण 2.4 ,13, 33, पांडवपुराण 2.163-164
(2) इक्षुरस― पान का उपदेश करने से वृषभदेव इस नाम से संबोधित किये गये थे । महापुराण 16.264 हरिवंशपुराण 8.210,
(3) इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न पुरुष । पद्मपुराण -6. 210, हरिवंशपुराण 2.4