देवनंदि: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | |||
<li> नन्दिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप यशोनन्दि के शिष्य थे और जयनन्दि के गुरु थे। समय–वि.श.२११-२५८ (ई.३३६-३८६)।– देखें - [[ इतिहास#7.2 | इतिहास / ७ / २ ]]। </li> | |||
<li> आ०पूज्यपाद (ई.श.५) का अपरनाम। </li> | |||
<li> राहिणीविहाण कहा के रचयिता एक अपभ्रंश कवि। समय–वि.श.१५ (ई.श.१५ पूर्व) (ती./४/२४२)। </li> | |||
</ol> | |||
[[देवता | Previous Page]] | |||
[[देवपाल | Next Page]] | |||
[[Category:द]] | |||
Revision as of 16:15, 25 December 2013
- नन्दिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप यशोनन्दि के शिष्य थे और जयनन्दि के गुरु थे। समय–वि.श.२११-२५८ (ई.३३६-३८६)।– देखें - इतिहास / ७ / २ ।
- आ०पूज्यपाद (ई.श.५) का अपरनाम।
- राहिणीविहाण कहा के रचयिता एक अपभ्रंश कवि। समय–वि.श.१५ (ई.श.१५ पूर्व) (ती./४/२४२)।