चित्रांगद: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> अर्जुन का प्रधान शिष्य था (65); वनवास के समय सहाय वन में नारद द्वारा, पांडवों पर दुर्योधन की चढ़ाई का समाचार जानकर (86) उसे वहाँ जाकर बाँध लिया। | <div class="HindiText"> अर्जुन का प्रधान शिष्य था (65); वनवास के समय सहाय वन में नारद द्वारा, पांडवों पर दुर्योधन की चढ़ाई का समाचार जानकर (86) उसे वहाँ जाकर बाँध लिया। | ||
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Revision as of 22:20, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
—( पांडवपुराण/17/श्लोक नं.)
पुराणकोष से
(1) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.33
(2) घातकीखंड द्वीप के पूर्व भरतक्षेत्र में स्थित विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के नित्यालोक नगर के नृप विद्याधर चित्रचूल और उसकी स्त्री मनोहरी का पुत्र । यह सुभानु का जीव था । युगल रूप से उत्पन्न गरुड़कांत-सेनकांत, गरुड़ध्वज-गरुड़वाहन, मणिचूल-हिमचूल इसके अनुज थे । ये सातों भाई अति सुंदर और विद्यावान थे । हरिवंशपुराण 33 131-133 महापुराण में राजा का नाम चंद्रचूल मिलता है । इसके छोटे भाइयों के नाम भी बदले हुए हैं । महापुराण 71. 241-252
(3) ऐशान स्वर्ग का एक मनोहर विमान । महापुराण 9.189
(4) चित्रांगद विमान का निवासी एक देव । यहाँ से च्युत होकर यह राजा विभीषण और उसकी रानी प्रियदत्ता का वरदत्त नाम का पुत्र हुआ । महापुराण 9.189, 10. 149
(5) वानर का जीव । पूर्वभव में यह मनोहर नामक देव था । स्वर्ग से च्युत होकर यह राजा रतिषेण और रानी चंद्रमती का पुत्र हुआ । महापुराण 10. 151
(6) वाराणसी का राजा । महापुराण 47.331
(7) सौधर्म स्वर्ग का देव, वीरदत्त का जीव । महापुराण 70.65-72, 138