द्विकावली व्रत: Difference between revisions
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<p class="HindiText">इसकी तीन प्रकार विधि है बृहद्, मध्यम व जघन्य।–तहा एक बेला एक पारणा के क्रम से ४८ बेले करना बृहद् विधि है। एक वर्ष पर्यन्त प्रतिमास शुक्ल १-२; ५-६; ८-९ व १४-१५ तथा कृष्ण ४-५; ८-९; १४-१५ इस प्रकार ७ बेले करे। १२ मास के ८४ बेले करना मध्यम विधि है। एक बेला, २ पारणा, १ एकाशना का क्रम २४ बार दोहराये। इस प्रकार १२० दिन में २४ बेले करना जघन्य विधि है।–सर्वत्र नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे। (ह.पु./३४/६८–केवल बृहद् विधि); (व्रत-विधान संग्रह/पृ.७७-७८); (नवलसाह कृत वर्धमान पुराण)</p> | |||
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Revision as of 16:16, 25 December 2013
इसकी तीन प्रकार विधि है बृहद्, मध्यम व जघन्य।–तहा एक बेला एक पारणा के क्रम से ४८ बेले करना बृहद् विधि है। एक वर्ष पर्यन्त प्रतिमास शुक्ल १-२; ५-६; ८-९ व १४-१५ तथा कृष्ण ४-५; ८-९; १४-१५ इस प्रकार ७ बेले करे। १२ मास के ८४ बेले करना मध्यम विधि है। एक बेला, २ पारणा, १ एकाशना का क्रम २४ बार दोहराये। इस प्रकार १२० दिन में २४ बेले करना जघन्य विधि है।–सर्वत्र नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे। (ह.पु./३४/६८–केवल बृहद् विधि); (व्रत-विधान संग्रह/पृ.७७-७८); (नवलसाह कृत वर्धमान पुराण)