धरणेंद्र: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> (प.पु./३/३०७); (ह.पु./२२/५१-५५)। नमि और विनमि जब भगवान् ऋषभनाथ से राज्य की प्रार्थना कर रहे थे तब इसने आकर उनको अपनी दिति व अदिति नामक देवियों से विद्याकोष दिलवाकर सन्तुष्ट किया था। </li> | |||
<li class="HindiText">(म.पु./७४/श्लोक) अपनी पूर्व पर्याय में एक सर्प था। महिपाल (देखें - [[ कमठ के जीव का आठवा | कमठ के जीव का आठवा ]] भव) द्वारा पचाग्नि तप के लिए जिस लक्कड़ में आग लगा रखी थी, उसी में यह बैठा था। भगवान् पार्श्वनाथ द्वारा बताया जाने पर जब उसने वह लक्कड़ काटा तो वह घायल होकर मर गया।१०१-१०३। मरते समय भगवान् पार्श्वनाथ ने उसे जो उपदेश दिया उसके प्रभाव से वह भवनवासी देवों में धरणेन्द्र हुआ।११८-११९। जब कमठ ने भगवान् पार्श्वनाथ पर उपसर्ग किया तो इसने आकर उनकी रक्षा की।१३९-१४१। </li> | |||
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Revision as of 16:16, 25 December 2013
- एक लोकपाल–देखें - लोकपाल।
- (प.पु./३/३०७); (ह.पु./२२/५१-५५)। नमि और विनमि जब भगवान् ऋषभनाथ से राज्य की प्रार्थना कर रहे थे तब इसने आकर उनको अपनी दिति व अदिति नामक देवियों से विद्याकोष दिलवाकर सन्तुष्ट किया था।
- (म.पु./७४/श्लोक) अपनी पूर्व पर्याय में एक सर्प था। महिपाल (देखें - कमठ के जीव का आठवा भव) द्वारा पचाग्नि तप के लिए जिस लक्कड़ में आग लगा रखी थी, उसी में यह बैठा था। भगवान् पार्श्वनाथ द्वारा बताया जाने पर जब उसने वह लक्कड़ काटा तो वह घायल होकर मर गया।१०१-१०३। मरते समय भगवान् पार्श्वनाथ ने उसे जो उपदेश दिया उसके प्रभाव से वह भवनवासी देवों में धरणेन्द्र हुआ।११८-११९। जब कमठ ने भगवान् पार्श्वनाथ पर उपसर्ग किया तो इसने आकर उनकी रक्षा की।१३९-१४१।