प्रियंकर: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) लवणांकुश के पूर्वभव का जीव । काकंदी नगरी के राजा रतिवर्धन और उसकी रानी सुदर्शना का पुत्र और हितंकर का अग्रज । इस पर्याय के पश्चात् इसने ग्रैवेयक में जन्म लिया और वहाँ से च्युत होकर लवणांकुश हुआ । <span class="GRef"> पद्मपुराण 108.7, 39.46 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) लवणांकुश के पूर्वभव का जीव । काकंदी नगरी के राजा रतिवर्धन और उसकी रानी सुदर्शना का पुत्र और हितंकर का अग्रज । इस पर्याय के पश्चात् इसने ग्रैवेयक में जन्म लिया और वहाँ से च्युत होकर लवणांकुश हुआ । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_108#7|पद्मपुराण - 108.7]], 39.46 </span></p> | ||
<p id="2">(2) धरणिभषूण गिरि का इस नाम का उद्यान । यहाँ सगरसेन मुनि से जयसेन आदि राजाओं ने धर्मोपदेश पाया था । <span class="GRef"> महापुराण 76. 220 </span></p> | <p id="2">(2) धरणिभषूण गिरि का इस नाम का उद्यान । यहाँ सगरसेन मुनि से जयसेन आदि राजाओं ने धर्मोपदेश पाया था । <span class="GRef"> महापुराण 76. 220 </span></p> | ||
<p id="3">(3) प्रीतिंकर तथा उसकी रानी वसुंधरा से उत्पन्न पुत्र । यह तीर्थंकर महावीर के समय में हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 76.385 </span></p> | <p id="3">(3) प्रीतिंकर तथा उसकी रानी वसुंधरा से उत्पन्न पुत्र । यह तीर्थंकर महावीर के समय में हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 76.385 </span></p> |
Revision as of 22:27, 17 November 2023
(1) लवणांकुश के पूर्वभव का जीव । काकंदी नगरी के राजा रतिवर्धन और उसकी रानी सुदर्शना का पुत्र और हितंकर का अग्रज । इस पर्याय के पश्चात् इसने ग्रैवेयक में जन्म लिया और वहाँ से च्युत होकर लवणांकुश हुआ । पद्मपुराण - 108.7, 39.46
(2) धरणिभषूण गिरि का इस नाम का उद्यान । यहाँ सगरसेन मुनि से जयसेन आदि राजाओं ने धर्मोपदेश पाया था । महापुराण 76. 220
(3) प्रीतिंकर तथा उसकी रानी वसुंधरा से उत्पन्न पुत्र । यह तीर्थंकर महावीर के समय में हुआ था । महापुराण 76.385
(4) पृथ्वीतिलक नगर का राजा । इसकी रानी का नाम अतिवेगा और पुत्री का नाम रत्नमाला था । हरिवंशपुराण 27.91