मनोज्ञ साधु: Difference between revisions
From जैनकोष
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p><span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/9/24/442/10 </span><span class="SanskritText">मनोज्ञो लोकसंमत:।</span>=<span class="HindiText">लोकसम्मत साधु को मनोज्ञ कहते हैं।</span><br /> | <p><span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/9/24/442/10 </span><span class="SanskritText">मनोज्ञो लोकसंमत:।</span>=<span class="HindiText">लोकसम्मत साधु को मनोज्ञ कहते हैं।</span><br /> | ||
<span class="GRef"> राजवार्तिक/9/24/12-14/623/25 </span><span class="SanskritText">मनोज्ञोऽभिरूप:।12। संमतो वा लोकस्य विद्वत्तावक्तृत्वमहाकुलत्वादिभिः।13। ... गौरवोत्पादनहेतुत्वात्। असंयतसम्यग्दृष्टिर्वा।14। संस्कारोपेतरूपत्वात्। </span>= <span class="HindiText">अभिरूप को, अथवा गौरव की उत्पत्ति के हेतुभूत विद्वान्, वाग्मी व महाकुलीन आदि रूप से लोकप्रसिद्ध को, अथवा सुसंस्कृत सम्यग्दृष्टि को मनोज्ञ कहते हैं। | <span class="GRef"> राजवार्तिक/9/24/12-14/623/25 </span><span class="SanskritText">मनोज्ञोऽभिरूप:।12। संमतो वा लोकस्य विद्वत्तावक्तृत्वमहाकुलत्वादिभिः।13। ... गौरवोत्पादनहेतुत्वात्। असंयतसम्यग्दृष्टिर्वा।14। संस्कारोपेतरूपत्वात्। </span>= <span class="HindiText">अभिरूप को, अथवा गौरव की उत्पत्ति के हेतुभूत विद्वान्, वाग्मी व महाकुलीन आदि रूप से लोकप्रसिद्ध को, अथवा सुसंस्कृत सम्यग्दृष्टि को मनोज्ञ कहते हैं। <span class="GRef">( चारित्रसार/151/4 )</span>; <span class="GRef">( भावपाहुड़ टीका/78/225/2 )</span>।</span><br /> | ||
<span class="GRef"> धवला 13/5,4,26/63/10 </span><span class="PrakritText">आइरियेहि सम्मदाणं गिहत्थाणं दिक्खाभि मुहाणं वा जं करिदे तं मणुण्ण वेज्जावच्चं णाम। </span>= <span class="HindiText">आचार्यों के द्वारा सम्मत और दीक्षाभिमुख गृहस्थ की वैयावृत्त्य मनोज्ञ कहलाती है। | <span class="GRef"> धवला 13/5,4,26/63/10 </span><span class="PrakritText">आइरियेहि सम्मदाणं गिहत्थाणं दिक्खाभि मुहाणं वा जं करिदे तं मणुण्ण वेज्जावच्चं णाम। </span>= <span class="HindiText">आचार्यों के द्वारा सम्मत और दीक्षाभिमुख गृहस्थ की वैयावृत्त्य मनोज्ञ कहलाती है। <span class="GRef">( चारित्रसार/151/4 )</span>।</span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Latest revision as of 22:27, 17 November 2023
सर्वार्थसिद्धि/9/24/442/10 मनोज्ञो लोकसंमत:।=लोकसम्मत साधु को मनोज्ञ कहते हैं।
राजवार्तिक/9/24/12-14/623/25 मनोज्ञोऽभिरूप:।12। संमतो वा लोकस्य विद्वत्तावक्तृत्वमहाकुलत्वादिभिः।13। ... गौरवोत्पादनहेतुत्वात्। असंयतसम्यग्दृष्टिर्वा।14। संस्कारोपेतरूपत्वात्। = अभिरूप को, अथवा गौरव की उत्पत्ति के हेतुभूत विद्वान्, वाग्मी व महाकुलीन आदि रूप से लोकप्रसिद्ध को, अथवा सुसंस्कृत सम्यग्दृष्टि को मनोज्ञ कहते हैं। ( चारित्रसार/151/4 ); ( भावपाहुड़ टीका/78/225/2 )।
धवला 13/5,4,26/63/10 आइरियेहि सम्मदाणं गिहत्थाणं दिक्खाभि मुहाणं वा जं करिदे तं मणुण्ण वेज्जावच्चं णाम। = आचार्यों के द्वारा सम्मत और दीक्षाभिमुख गृहस्थ की वैयावृत्त्य मनोज्ञ कहलाती है। ( चारित्रसार/151/4 )।