रंभ: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में पदक नगर का एक धनिक एवं गणितज्ञ-पुरुष इसके चंद्र और आवलि दो शिष्य थे । मुनियों को आहार देने के फलस्वरूप यह देवकुरु नामक उत्तम भोगभूमि में आर्य हुआ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.114-116, 135 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में पदक नगर का एक धनिक एवं गणितज्ञ-पुरुष इसके चंद्र और आवलि दो शिष्य थे । मुनियों को आहार देने के फलस्वरूप यह देवकुरु नामक उत्तम भोगभूमि में आर्य हुआ था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#114|पद्मपुराण - 5.114-116]], 135 </span></p> | ||
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Revision as of 22:28, 17 November 2023
जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में पदक नगर का एक धनिक एवं गणितज्ञ-पुरुष इसके चंद्र और आवलि दो शिष्य थे । मुनियों को आहार देने के फलस्वरूप यह देवकुरु नामक उत्तम भोगभूमि में आर्य हुआ था । पद्मपुराण - 5.114-116, 135