धृतिषेण: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम (श्रुतकेवली) के पश्चात् सातवें ११ अंग १० पूर्वधारी थे। समय‒वी.नि.२६४-२८२; (ई.पू.२६३-२४५)‒ देखें - [[ इतिहास#4.4 | इतिहास / ४ / ४ ]]।</p> | |||
[[धृति भावना | Previous Page]] | |||
[[धैवत | Next Page]] | |||
[[Category:ध]] | |||
Revision as of 17:15, 25 December 2013
श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम (श्रुतकेवली) के पश्चात् सातवें ११ अंग १० पूर्वधारी थे। समय‒वी.नि.२६४-२८२; (ई.पू.२६३-२४५)‒ देखें - इतिहास / ४ / ४ ।