श्रीकांत: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) आगामी सातवें चक्रवर्ती । <span class="GRef"> महापुराण 76.483, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.564 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) आगामी सातवें चक्रवर्ती । <span class="GRef"> महापुराण 76.483, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.564 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विदेहक्षेत्र में सीतोदा नदी के उत्तरी तट पर स्थित सुगंधि देश के श्रीपुर नगर के राजा श्रीवर्मा का पुत्र । श्रीवर्मा इसे राज्य देकर संयमी हुए । <span class="GRef"> महापुराण 54.9-10, 25, 80 </span></p> | <p id="2">(2) विदेहक्षेत्र में सीतोदा नदी के उत्तरी तट पर स्थित सुगंधि देश के श्रीपुर नगर के राजा श्रीवर्मा का पुत्र । श्रीवर्मा इसे राज्य देकर संयमी हुए । <span class="GRef"> महापुराण 54.9-10, 25, 80 </span></p> | ||
<p id="3">(3) रावण के पूर्वभव का जीव यह जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में एकक्षेत्र नामक नगर का निवासी वणिक् था । यह इसी नगर के सागरदत्त वणिक् की पुत्री गुणवती पर आसक्त था किंतु गुणवती के भाई ने गुणवती को इसे न देकर धनदत्त को देने का निश्चय किया था । धनदत्त का छोटा भाई वसुदत्त इसे अपने भाई का विरोधी जानकर मारने को उद्यत हुआ । परिणामस्वरूप इसने वसुदत्त को और वसुदत्त ने इसे मार डाला था । इस प्रकार दोनों मरकर मृग हुए । <span class="GRef"> पद्मपुराण 106.10-20 </span></p> | <p id="3">(3) रावण के पूर्वभव का जीव यह जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में एकक्षेत्र नामक नगर का निवासी वणिक् था । यह इसी नगर के सागरदत्त वणिक् की पुत्री गुणवती पर आसक्त था किंतु गुणवती के भाई ने गुणवती को इसे न देकर धनदत्त को देने का निश्चय किया था । धनदत्त का छोटा भाई वसुदत्त इसे अपने भाई का विरोधी जानकर मारने को उद्यत हुआ । परिणामस्वरूप इसने वसुदत्त को और वसुदत्त ने इसे मार डाला था । इस प्रकार दोनों मरकर मृग हुए । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_106#10|पद्मपुराण - 106.10-20]] </span></p> | ||
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Revision as of 22:35, 17 November 2023
(1) आगामी सातवें चक्रवर्ती । महापुराण 76.483, हरिवंशपुराण 60.564
(2) विदेहक्षेत्र में सीतोदा नदी के उत्तरी तट पर स्थित सुगंधि देश के श्रीपुर नगर के राजा श्रीवर्मा का पुत्र । श्रीवर्मा इसे राज्य देकर संयमी हुए । महापुराण 54.9-10, 25, 80
(3) रावण के पूर्वभव का जीव यह जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में एकक्षेत्र नामक नगर का निवासी वणिक् था । यह इसी नगर के सागरदत्त वणिक् की पुत्री गुणवती पर आसक्त था किंतु गुणवती के भाई ने गुणवती को इसे न देकर धनदत्त को देने का निश्चय किया था । धनदत्त का छोटा भाई वसुदत्त इसे अपने भाई का विरोधी जानकर मारने को उद्यत हुआ । परिणामस्वरूप इसने वसुदत्त को और वसुदत्त ने इसे मार डाला था । इस प्रकार दोनों मरकर मृग हुए । पद्मपुराण - 106.10-20